होशंगाबाद| आधुनिकता के दौर में भी अन्धविश्वास की जड़ें कितनी गहरी है इसका बड़ा उदहारण इन दिनों होशंगाबाद जिले में देखने को मिल रहा है, जहां एक पेड़ को छूने से सभी बीमारियां दूर होने की अफवाह फैलते ही हजारों लोग रोजाना जंगल में पहुँच रहे हैं| जिले के पिपरिया के ग्राम नयागांव के समीप वनविभाग के प्रतिबंधित क्षेत्र में एक महुआ का पेड़ है, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है| अंधविश्वास के चलते हजारों लोग पेड़ को छूने पहुंचे रहे हैं, रविवार को यहां करीब 40 हजार लोग पेड़ का चमत्कार देखने पहुंचे और जंगल में हर तरफ वाहनों का मेला दिखाई दिया| इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पहुँचने से पुलिस की भी परेशानी बढ़ गई है| मजबूरी में पुलिस प्रशासन को हजारों लोगों की अनियंत्रित भीड़ का काबू में करने एवं दुघर्टनाओं को रोकने के लिए रविवार को भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
दरअसल, नवरात्रि पर्व से एसटीआर क्षेत्र में महुआ का पेड़ लोगों के अंधविश्वास का केंद्र बना हुआ है। सप्ताह में दो दिन सुबह से शाम तक हजारों की संख्या में भीड़ एकत्रित होती है। रविवार को सुबह हजारों की संख्या में लोग पेड़ को छूने पहुंचे। भारी भीड़ होने से जाम के हालात बने। पुलिस प्रशासन को भी लोगों को सँभालने के लिए भारी बल तैनात करना पड़ा| वहीं आईजी आशुतोष राय, एसपी एमएल छारी, एडीशनल एसपी घनश्याम मालवीय, एसडीओपी रणविजय कुशवाहा व स्टेशन रोड थाना प्रभारी सतीश अंधवान सहित मंगलवारा थाना प्रभारी प्रवीण कुमरे और चार थानों का बल लगा रहा। लोग चमत्कार मानकर पेड़ को छूने के लिए पहुँच रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग इस भीड़ को देखकर भी हैरान है| हालाँकि अभी तक किसी की बीमारी यहां ठीक हुई हो ऐसा किसी ने दावा नहीं किया है, लेकिन लोगों लगातार यहाँ पहुंचना जारी है|
लोगों का मानना है कि पेड़ में कोई दैवीय शक्ति विराजमान है। क्योंकि इसके पास पहुंचने पर पेड़ लोगों को अपने पास खींचता है। इस बात की सूचना जंगल की आग की तरह सोशल मीडिया के चलते फैल गई। नवरात्रि से अब तक लगभग एक माह में करीब ढाई लाख लोग चमत्कारी पेड को छूने पहुंच चुके हैं। बताया जा रहा है कि नवरात्रि के पहले जंगल में एक आदिवासी जानवर चराने गया था। थक कर वह महुआ के पेड़ के पास टिक कर सो गया। उस आदिवासी ग्रामीण को गठियावाद था। लेकिन जब वह सो कर उठा तो उसका सारा दर्द गायब हो गया। इसी बात को उसने गांव के लोगो को जाकर बताया। तभी आसपास के लोगो ने भी इसे आजमाया। जिसके बाद से ही यहां लोग पहुँच रहे हैं| यह पेड़ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आता है। वन विभाग भी लोगों को यहां रोक पाने में असमर्थ नजर आ रहा है| प्रतिबंधित क्षेत्र में वाहनों की लम्बी कतारें देखने को मिल रही है|
वायरल मैसेज से फैली ये भ्रांति
बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक मैसेज के बाद लोगों में ये भ्रांति फैल गई है कि इस पेड़ को छूने से कोई भी बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। बस इसी बात को सच मानकर रोजाना हजारों की तादाद लोग केवल इस पेड़ को छूने पहुंच रहे हैं। हालत ये है कि प्रशासन के लिए हजारों लोगों की इस भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया है। साथ ही जंगल के बफर जोन में लोगों की आवाजाही से वन्य जीवन के प्रभावित होने की भी आशंका है।पुलिस, प्रशासन व वन विभाग अंधविश्वास के कारण लगे इस मेले से सभी बुरी तरह परेशान हैं और जंगल के कानून भी बेअसर हो गए हैं। महुआ के पेड़ की कहानी सोशल मीडिया से शुरू हुई और यह खेल आज एक आस्था या फिर कहें अंधविश्वास के रूप में बड़ा रूप ले चुका है।
अंधविश्वास के चक्कर में जंगल में लगा पॉलीथिन का अंबार
इस खबर के वायरल होने के बाद पिपरिया के नजदीक बसे एक छोटे से गांव कोड़ापड़रई से लगे जंगलों में लगा यह पेड़ चमत्कारिक पेड़ के नाम से मशहूर हो गया।सोशल मीडिया पर फैली इस रहस्यमई पेड़ की कहानी अंधविश्वास के मेले में तब्दील हो गई है इस मैसेज ने जंगल का नजारा ऐसे बदल डाला की जंगल में पॉलीथिन का अंबार लग गया है और प्रतिबंधित वन क्षेत्र में हजारों की संख्या में लोग लगातार पहुंच रहे हैं