जबलपुर| मोबाइल टॉवर से निकल रही रेडियशन की तरंगो से जहाँ धीरे-धीरे पक्षियों की चहचहाहट कम हो रही है वहीं दूसरी ओर सरकार पक्षियों को संरक्षित करने के लिए लगातार कवायद भी कर रही है। इसके उलट कुछ ऐसे विभाग भी हैं जो कि पक्षियों के शोरगुल को परेशानी समझते हैं। ताजा मामला जबलपुर का है जहाँ भारत संचार निगम लिमिटेड ने सैंकड़ों पक्षियों के घरोंदों को सिर्फ इसलिए उजाड़वा दिया क्योंकि वह शोरगुल और गंदगी फैलाते हुए दुर्गंध पैदा कर रहे थे।
BSNL कैम्पस में लगे दर्जनों पेडों को काटने के लिए दूर संचार विभाग के अधिकारियों ने पत्र नगर निगम को दिया और उसके बाद निजी ठेकेदारों से दर्जनों पेड़ कटवा दिए । भारत संचार निगम के अधिकारियों ने ये देखने की जहमत तक नही उठाई की कही उसमे पक्षियों का अभी रहवास तो नहीं है। इधर ठेकेदार ने भी अधिकारियों के निर्देश का पालन करते हुए पेड़ काट दिए, लेकिन जब पेड़ो के कटने के बाद जो नजारा देखने को मिला वो बेरहमी की हदो को पार करने वाला था। पेड़ कटते गए और उनमें रहने वाले प्रवासी पक्षी मौत के गाल में समाते गए । BSNL के कार्यालय में हजारों पक्षियों की आवाज एकाएक शांत हो गई।
जिम्मेदार कौन
अचानक से अधिकारी का फरमान होता है की पेड़ काटने है। नगर निगम भी अपनी सहमति देता है। फिर क्या था पेड़ो में चलने लगी कुल्हाड़ी। पेड़ कट रहे थे और फल कि तरह परिन्दे नीचे गिर रहे थे। ऊँचाई से गिर रहे प्रवासी पक्षी मौत की नींद सो गए जो बच गए वह अब अपने परिवार को तलाश कर रहे हैं। हालांकि भारत संचार निगम के अधिकारियों की इस पूरी करतूत को वन विभाग भी कहीं ना कहीं गलत मान रहा है। फिलहाल वन विभाग अब बीएसएनएल को नोटिस देने के साथ उच्चस्तरीय जांच करवाने की तैयारी कर रहा है। वही बीएसएनएल के अधिकारी अपनी गलती को छुपाने में जुटे हुए हैं। बहरहाल अब देखना यह होगा कि इन पक्षियों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेता है वह ठेकेदार जिसने की बिना कुछ देखें इन पेड़ों को काट दिया या फिर नगर निगम जिसने मौके का मुआवना किए बिना ही अनुमति दे दी या फिर भारत संचार निगम के वो अधिकारी जिन्हें इन पक्षियों की चहचहाहट पसंद नही थी।