जबलपुर
संस्कारधानी को स्मार्ट सिटी बनाने जा रहे जबलपुर नगर निगम में जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है…प्रतिनियुक्तियो पर आए अधिकारियो की तरह ही निगम में सालों से जमे कई अधिकारियो और कर्मचारियों के आगे सत्ता से लेकर नौकरशाही ने घुटने टेक दिए है..आलम ये है कि नगर निगम में अब अधिकारी बेलगाम हो गए है…और यही वजह कि महापौर,एमआईसी सदस्यों से लेकर पार्षदों की भी सुनवाई नहीं हो रही है… जिसकी वजह से वार्ड में काम कराने के लिए सत्ता पक्ष से जुड़े बीजेपी पार्षदों को सदन के गर्भगृह में धरना तक देना पड़ गया है..ऐसे में बीजेपी पार्षदों के सदन में धरने के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है।
जबलपुर नगर निगम सदन में एक एमआईसी सदस्य और सत्ता पक्ष के तीन पार्षदों से शुरू हुआ विरोध का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा, फर्क सिर्फ इतना था….कि बजट बैठक के दौरान महापौर परिषद के बाकी सदस्यों ने भी अपनी नाकामियों का ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ना शुरू कर दिया। दरअसल नगर निगम सदन की बैठक में चर्चा तो बजट के प्रावधानों पर होना थी, लेकिन पूरी की पूरी बैठक अधूरे पड़े कामों और सत्ता की नाकामियों पर आकर टिक गई…,विपक्षी सदस्यों ने जब सत्ता पक्ष की नाकामियां बनाना शुरू किया तो इसमें एमआईसी सदस्यों ने भी हां में हां मिलाना शुरू कर दिया और इसका ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ दिया है। नगर निगम की बैठक में मंगलवार को सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया और पार्षद से विधायक बने विनय सक्सेना भी शामिल हुए। बैठक में विधायक विनय सक्सेना ने शहर की सबसे पुरानी सब्जी मंडी के कायाकल्प के लिए 25 करोड़ की राशि स्वीकृत करने के साथ ही हनुमानताल के विकास के लिए दो करोड़ की योजना बनाने की मांग की…विधायक के इस प्रस्ताव पर महापौर ने कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया से राज्य सरकार के जरिए करीब 100 करोड़ की राशि दिलाने की मांग रखी…हालाकि अधिकारियों की मनमानी से परेशान महापौर स्वाति गोडबोले की माने तो जब से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है,तब से अधिकारी बेलगाम हो गए है…और महापौर से लेकर पार्षद की भी न तो सुन रहे है और न ही उनके काम कर रहे है।दरअसल सोमवार को हुई बैठक में एक एमआईसी सदस्य और भाजपा के तीन पार्षदों ने अपनी सत्ता के खिलाफ धरना दे दिया था… बैठक में मौजूद सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया ने सत्ता पक्ष के खिलाफ उसके ही पार्षदों के इस आक्रोश पर गहरी चिंता जाहिर की..उन्होंने कहा कि जब सत्ताधारी दल के पार्षदों को धरना देना पड़ रहा है..तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम में क्या हालात होगें। बैठक में बजट के प्रावधानों के साथ ही शहर से जुड़े अन्य ज्वलंत मुद्दों पर भी पार्षदों ने अपनी राय रखी हालांकि इस चर्चा का कोई नतीजा नहीं निकल पाया और पूरी की पूरी बैठक अफसरों की मनमानी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही।