जबलपुर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंधी में मध्यप्रदेश के दिग्गज कांग्रेसियों को भी करारी हार का सामना करना पड़ा| दिलचस्प बात तो यह है कि महज़ पांच महीने पहले प्रदेश में बनी कांग्रेस सरकार के मंत्री भी अपने क्षेत्रों से पार्टी को हारने से नहीं बचा पाए| बात महाकौशल के केंद्र कहलाने वाले जबलपुर की करें तो यहां पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज करने वाले सूबे के वित्तमंत्री तरुण भनोत के इलाके से भी कांग्रेस बुरी तरह से हार गई, इसके अलावा सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया का पूर्व क्षेत्र का कांग्रेस का किला भी मोदी नाम की सुनामी के आगे ध्वस्त हो गया| प्रदेश के दो – दो मंत्रियों के क्षेत्रों से कांग्रेस की इस करारी हार ने साबित कर दिया है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े बड़े दिग्गजों को जनता ने बुरी तरह से नकार दिया है।
चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस हार की समीक्षा का राग अलाप रही है तो भाजपा नैतिकता के नाते मुख्यमंत्री कमलनाथ का इस्तीफा मांग रही है। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाली जबलपुर लोकसभा सीट राज्य की सबसे अहम और पूरे महाकौशल को साधने वाली सीटों में शामिल है और यही वजह थी कि सीएम कमलनाथ ने शहर को दो मंत्री देकर पूरे महाकोशल में जबलपुर को केंद्र बनाया था, ताकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिल सके| लेकिन जबलपुर पश्चिम क्षेत्र के विधायक से बड़ी जिम्मेदारी लेकर वित्त मंत्री बने तरुण भनोट ने यहां पार्टी की नाक कटवा दी और घटिया प्रदर्शन करके हार का अंतर भी कम नही करवा सके| नतीजा ये हुआ कि पश्चिम विधान सभा में कांग्रेस को 84 हजार 252 मतों से करारी हार का सामना करना पड़ा|
वित्त मंत्री तरुण भानोत की तरह ही कुछ ऐसा ही हाल कमलनाथ सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया का भी रहा है| लखन घनघोरिया भी तरुण भनोत की तरह अपनी पूर्व विधान सभा नहीं बचा सके और यहां भी कांग्रेस को 9 हजार 5 सौ वोटो से हार का स्वाद चखना पड़ा है| कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सौरभ शर्मा की माने तो भाजपा ने स्थानीय मुद्दों को छोड़कर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था जिसे हम भुना नही पाए है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था की जबलपुर के दो मंत्री पहले से ही जनता का विरोध झेल रहे राकेश सिंह को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन परिणाम देखकर यही लग रहा है की मंत्रियों ने कोई मेहनत नहीं की और शुरू से ही वित्त मंत्री के क्षेत्र में भाजपा बड़े अंतर से बढ़त बनाये हुए थी| जहाँ तक मंत्री घनघोरिया के क्षेत्र का है तो वहां मुस्लिम वोट ज्यादा था और वही कांग्रेस को बढ़त बनाने में मददगार साबित हुआ है|
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सौरभ शर्मा ने कहा कि निश्चित रूप से जबलपुर में दो मंत्रियों के होने के बाद भी भारी पराजय कांग्रेस को झेलनी पड़ी है जिसकी समीक्षा की जाएगी।जबलपुर सहित प्रदेश में कांग्रेस की हुई हार के बाद मंत्री विधायक पुरी तरह से भूमिगत हो गए है।बहरहाल अब देखना ये होगा कि पीसीसी के आने वाली समीक्षा बैठक में मंत्री विधायक क्या कारण बताते है।