एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने तर्क दिए कि दंड प्रक्रिया संहिता में मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि वह किसी भी मामले की जांच या तो स्वयं कर सकते हैं अथवा पुलिस या किसी भी एजेंसी के माध्यम से जांच करा सकते हैं। दिग्विजय सिंह के विरुद्ध कोई हिंसा का मामला दर्ज नहीं हुआ है जिसमें पुलिस की जांच आवश्यक हो उक्त मामले में मजिस्ट्रेट ने जांच करना उचित समझा था इसलिए मजिस्ट्रेट द्वारा मामले की पूरी जांच की गई और जांच के उपरांत ही उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया
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हाईकोर्ट ने 10 करोड़ रुपए की वसूली पर अभी रोक लगा रखी है।
याचिकाकर्ता द्वारा यह भी आपत्ति ली गई थी कि पूर्व में निलंबित की गई रजिस्ट्रार चंद्रकला दिवगैयाँ को पिछले 2 साल में कार्यवाही करके कोई भी रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं की गई है, इस पर भी कोर्ट ने सरकार से पूर्व रजिस्ट्रार पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा।
केस की सुनवाई 1 दिन बाद 26 अप्रैल को नियत कर दी।
चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ में हुई सुनवाई
Employees Pending Salary : हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता कर्मियों के वेतन संबंधी लंबित अभ्यावेदन का 30 दिन के अंदर समाधान करें। वही विभाग को एक महीने के भीतर वेतन भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
20 वेयर हाउस संचालकों ने अचानक बदली गई नीति को हाईकोर्ट में चुनौदी दी थी।
मामले पर अगली सुनवाई अब 11 अप्रैल को होगी।
राज्य सरकार को इस जमीन घोटाले की जांच और दोषियों पर कार्यवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
इसके बाद न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य शासन पूर्व में पारित निर्णयों व सरकार के 29 नवंबर 2016 के आदेश के परिप्रेक्ष्य में सभी याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदनों पर विचार कर 90 दिनों में उचित निर्णय पारित करे।