क्या राकेश की जीत का ‘चौका’ रोक पाएंगे तन्खा, कांग्रेस को 23 साल से इंतजार

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भोपाल। महाकौशल का केंद्र संस्कारधानी कहे जाने वाल जबलपुर में कांग्रेस को एक बार फिर जीत की तलाश है। भोपाल के बाद जबलपुर संघ का गढ़ कहा जाता है। यहां बीजेपी का किला भेदने के लिए कांग्रेस कई बार विफल रही है। इंदौर और भोपाल के बाद जबलपुर वह शहरी सीट है जहां कांग्रेस लंबे समय से हार रही है। इस सीट पर कांग्रेस को अखिरी बार 1991 में जीत मिली थी। उसके बाद से बीजेपी लगातार यहां से छह बार जीती है। 

बीजेपी ने एक बार फिर वर्तमान सांसद और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को इस सीट से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी रणनीति बदली है। पार्टी कठीन सीटों पर अपने बड़े चेहरों पर दांव लगा रही है। एक बार फिर कांग्रेस ने विवेक तन्खा को इस सीट पर टिकट दिया है। 2014 में भी तन्खा को मौका मिला था लेकिन वह मोदी लहर में हार गए थे। पिछले चुनाव में तन्खा को इस सीट से 2.1 लाख वोटों से हार मिली थी। लेकिन बाद में कांग्रेस ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया। अब फिर पार्टी ने तन्खा पर भारोसा जताया है। इस क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ मजबूद है। लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में यहां अच्छा प्रदर्शन किया है। आठ विधानसभा सीट में से कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत हासिल की है। 


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