किसानों के लिए बारिश बनी आफत, हजारों क्विंटल गेंहूं भीगा

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जबलपुर| अप्रैल की गर्मी में अचानक हुई बारिश किसानों के लिए आफत बनकर बरसी है। बारिश होती रही किसान खुद ही अपनी मेहनत से उगाए अनाज को बचाते रहे पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने किसानों को कोई सुध नही ली। यही वजह थी कि एक दर्जन से ज्यादा समितियों में खुले में रखा गेंहू बारिश की भेंट चढ़ गया। किसान त्रिपाल और पन्नी के सहारे अपने अपने अनाज को बचाते रहे पर जिस तरह से बारिश हुई वो किसानों के द्वारा किये गए इंतजाम के लिए न काफी थी। अचानक बदले मौसम के बाद बारिश का डर किसानों को कई दिनों से सता रहा था।

जबलपुर में मंगलवार रात से हो रही बारिश के चलते खरीदी केंद्रों में खुले आसमान के नीचे पड़ी किसानों की मेहनत बारिश में भीग गई। खरीदी केंद्रों में किसान अब खुद की मेहनत को बचाने की कवायद में लगे हुए हैं। तिरपाल और पन्नी के सहारे किसान खुले में पड़ी गेहूं की उपज को ढांक तो रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उपज बारिश में गीली हो गई। बेमौसम बारिश के कारण सिहोरा और मझोली तहसील की अधिकतर खरीदी केंद्रों में पड़ी गेहूं की उपज बारिश की भेंट चढ़ गई है। अगर जल्दी ही मौसम नहीं खुला तो खरीदी केंद्रों में रखा किसानों का गेहूं पूरी तरह खराब हो जाएगा।बारिश के चलते समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीदी केंद्रों में अपनी उपाधि लेकर बड़े किसानों की उपज बारिश में भीग गई। सबसे ज्यादा खराब स्थिति लीड सेवा सहकारी समिति से हो रहा के तिरुपति वेयरहाउस के बने प्रांगण की थी यह किसानों की रखी करीब दो दर्जन  किसान  की  पांच क्विंटल गेहूं की उपज बारिश में गीली हो गई। किसानो ने बताया कि वह सुबह से उपज को बचाने के लिए त्रिपाल तो ढांक रहे हैं लेकिन तेज बारिश के कारण अप आज बारिश में गीली हो गई। वेयरहाउस में  बना प्रांगण खेत में है। यहां काली मिट्टी के कारण किसानों को अपनी उपज को बारिश से बचाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। तिरपाल ढकने के बावजूद किनारों से पानी उपज तक पहुंच गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति मझौली तहसील के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति बरगी खरीदी केंद्र की थी यहां भी किसानों की उपज बारिश में भीग गई थी किसान पन्नी और दूसरे संसाधनों से अपनी उपज को बारिश से भीगने से बचाने की कोशिशों में लगे हुए।


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