जबलपुर| एक ही (imei)से देश भर में लाखों मोबाइल चल रहे है जी हां ये खुलासा किया है जबलपुर पुलिस ने जिसकी एक के कड़ी को जबलपुर पुलिस ने साइबर सेल की मदद से पकड़ा है।जबलपुर के जयंती काम्प्लेक्स में संचालित एक मोबाइल शॉप संचालक को गिरफ्तार कर उसके पास से वीवो कंपनी के 100 से ज्यादा मोबाइल बरामद किए है। खास बात ये है कि आरोपी से बरामद किए गए सभी मोबाइल का imei एक ही है।
जबलपुर रेंज के आई जी ने आज पत्रकार वार्ता में बताया कि आरोपी से मिला imei को जब सर्च किया गया तो इस imei से देश भर में 50 हजार से ज्यादा मोबाइल चलना पाया गया है।जिसकी सूचना पुलिस मुख्यालय भेजी गई है।दर्शल प्रत्येक मोबाईल फोन में एक यूनिक International Mobile Equipment Identity ( IMEI ) होता है, जो कि मोबाईल को एक विशिष्ट पहचान देता है और जिसे बदलना अब एक दण्डनीय अपराध है। जिसके संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा 25 अगस्त 2017 को एक अधिसूचना जारी करते हुए ’’ मोबाईल युक्ति उपस्कर पहचान संख्या में छेड़छाड़ का रोका जाना नियम 2017 बनाये गये हैं। ’’ जिसमें IMEI को बदला जाना अपराध की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। जोनल साइबर सेल को मोबाईल फोन की IMEI अवैधानिक रूप से बदले जाने की सूचना मिली तो इसमें कार्यवाही करते हुए एक व्यक्ति को जयंती काम्प्लेक्स से पकड़ा गया।आरोपी के पास से IMEI बदलने के उपकरण भी जप्त किये गये। व उसके विरूद्ध अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर प्रदीप ठाकुर को गिरफ्तार किया गया है।जबलपुर की जोनल साईबर सैल के द्वारा इस IMEI की आल इंडिया सर्च कराने पर पाया गया कि देश भर में 01 लाख से अधिक मोबाईल उपकरण एक ही IMEI पर चल रहे हैं । पुलिस द्वारा ऐसे 125 से अधिक मोबाईल उपकरण धारकों से सम्पर्क करने पर मोबाईल प्राप्त हुए हैं जिसमें उपरोक्त IMEI होना पाया गया है । ये मोबाईल उपकरण कुछ लोगों को गिरे पड़े मिले हैं या कुछ लोगों द्वारा सेकेन्ड हैंड क्रय किये गये हैं । इन लोगों से सम्पर्क कर विस्तृत पूछताछ कर कार्यवाही जारी है । इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि एक ही IMEI पर जहाॅं एक ही उपकरण दर्ज होना चाहिए वहाॅं 01 लाख से अधिक मोबाईल उपकरण देश भर में चल रहे हैं, जो कि सुरक्षा की दृष्टि से अनुचित है । ये उपकरण चोरी या अन्य अपराधों से संबंधित भी हो सकते हैं एवं इसकी पहचान छुपाने की नियत से इनका IMEI बदले जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में 50 हजार से अधिक नंबरों की सूची तैयार कर पुलिस मुख्यालय भोपाल को भेजी गई है।