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भाजपा के किसान आंदोलन में नदारद रहे किसान, बिना ज्ञापन दिया ही लौटे भाजपाई

खंडवा। सुशील विधानि। 

भारतीय जनता पार्टी का खंडवा जिले में एक ऐसा दौर था जब कोई भी धरना प्रदर्शन होता था तो हजारों की संख्या में कार्यकर्ता सहित किसान उपस्थित होते थे लेकिन पहली बार भारतीय जनता पार्टी के इस आंदोलन में किसानों ने अपनी दूरियां बनाई आंदोलन केवल एक औपचारिकता बनकर रह गया कर्जमाफी के झूठे वादे से किसानों को भ्रमित करने वाली कमलनाथ सरकार के 10 माह के शासन में कर्ज वसूली से परेशान किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं। बारिश में बर्बाद हुई फसलों का किसानों को मुआवजा नहीं मिला। खेती के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। भावांतर भुगतान योजना का लाभ नहीं मिल रहा। ऐसी अनेक समस्याओं से आज प्रदेश का किसान परेशान है। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के साथ किए जा रहे अन्याय लेकिन अब अन्याय सहन नहीं होगा यह बात खंडवा पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता ने कही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमेशा किसानों के हितों के लिए काम कर रही हैं लेकिन चुनाव में झूठे वादों पर कमलनाथ ने किसानों के साथ छल किया है आज भी किसानों को उनके हक की राशि नहीं मिल पाई किसानों को भारी बिजली बिल दिए किसानों को भारी बिजली बिल दिए जा रहे भाजपा सरकार ने मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान  के नेतृत्व में अनेकों योजनाएं शुरू की थी लेकिन कांग्रेस की सरकार ने गरीबों की योजनाएं बंद कर दी हमारा आंदोलन कॉन्ग्रेस सरकार के खिलाफ है और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा तब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती भारतीय जनता पार्टी 4 नवम्बर को प्रदेशव्यापी किसान आक्रोश आंदोलन किया, जिसमें प्रदेश के किसान और पार्टी कार्यकर्ता एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना था  लेकिन  200 से  कम कार्यकर्ता  और किसान तो नाम मात्र के  इस आंदोलन में उपस्थित रहे आखिर खंडवा जिले में भारतीय जनता पार्टी के इस आंदोलन को किसानों का समर्थन क्यों नहीं मिल पाया यह भी एक सोचने वाली बात है मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी तो की लेकिन ज्ञापन देने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे तो बिना ज्ञापन दिए ही उल्टे पर लौट गए। इसके साथ ही बिजली के बढ़े हुए बिलों की होली जलाई । जब से मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तभी से प्रदेश के किसानों पर उपेक्षा के बादल मंडराने लगे थे। कांग्रेस ने चुनाव से पहले जो वादे किए थे वह सभी वादों से मुखर गई, इतना ही नहीं बाढ़ की चपेट में आकर अपनी फसलों को पूरी तरह बर्बाद होते देखने के बाद किसान असहाय और ठगा से महसूस कर रहा है। प्रदेश के 32 जिलों में बाढ़ की त्रासदी ने फसलों को चौपट कर दिया लेकिन सरकार ने मुआवजा देना तो छोडिय़े ठीक से सर्वे कराना भी आवश्यक नहीं समझा।

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