उच्च शिक्षा के मापदंड व निर्धारित शर्तो को पूरा नहीं कर पा रहे जिले के कॉलेज

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खंडवा। सुशील विधानि।

देश में बेहतर सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या सीमित है। ऐसे में भारी संख्या में ग्रैजुएट और अंडरग्रैजुएट छात्रों को खपाने के लिए निजी संस्थानों और कॉलेजों की जरूरत लगातार बढ़ रही है। इसी वजह से देश में प्राइवेट और फर्जी संस्थानों की बाढ़-सी आ गई है। यहां एक बात यह भी बताना जरूरी है कि न तो सभी प्राइवेट संस्थान बेकार हैं और न ही सभी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में खोट है। दिक्कत यह है कि क्वॉलिटी एजुकेशन के मामले में इनमें से ज्यादातर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ये संस्थान छात्रों के करियर की समस्या को सुलझाने के बजाय उलझा देते हैं। मोटी फीस वसूलने और टॉप क्लास की सुविधा देने का वादा करने वाले इन संस्थानों की क्वॉलिटी पर सवाल उठते रहते हैं, बावजूद इसके बच्चे इनके जाल में फंस जाते हैं।


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