जानकारी न देना पड़ा महंगा, दो अफसरों पर 25-25 हजार का जुर्माना

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भोपाल।  जानकारी न देना दो अधिकारियों को महंगा पड़ा है|  राज्य सूचना आयोग ने एक मामले में दो अफसरों पर 25-25 हजार रुपए का दंड लगाया है।  इसी मामले में एक तीसरे अफसर के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। सूचना के अधिकार का यह मामला शहडोल का है। सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने अपने फैसले में कहा है कि कलेक्टर ऑफिस से एक बहुत ही सामान्य-सी जानकारी मांगी गई थी, जिसे लोक सूचना अधिकारी ने तीस दिन की समयसीमा में नहीं दिया और न ही जानकारी न देने का कोई कारण बताया। आयुक्त ने कहा कि मामले में यह स्पष्ट है कि दोनों तत्कालीन लोक सूचना अधिकारियों ने किस तरह इसे एक फुटबॉल की गेंद बना दिया और राज्य सूचना आयोग को खेल का मैदान। दोनों दोषी अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपए की शास्ति अधिरोपित की गई।

दरअसल, शहडाेल निवासी सुभाष लाल ने 7 फरवरी 2011 को कलेक्टर ऑफिस में हुई किसी शिकायत और उस पर हुई कार्रवाई से संबंधित जानकारियां मांगी थीं। तत्कालीन एक लोक सूचना अधिकारी ने कोई जानकारी नहीं दी और अायोग को जवाब  दिया कि उनके सहायक ने यह केस उनके सामने पेश ही नहीं किया था। दूसरे अधिकारी ने दो महीने बाद आवेदन ही रद्द कर दिया। लेकिन प्रथम अपीलीय अधिकारी ने आवेदक के पक्ष में फैसला दिया और जानकारी देने के आदेश दिए। इसके बावजूद जब जाानकारी नहीं मिली तो  यह मामला दूसरी अपील में आयोग के सामने जून 2012 में पेश हुआ। इस पर सुनवाई 2014 में शुरू हुईं और चार साल दो महीने में 23 सुनवाइयां हुईं। आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने इसकी अंतिम सुनवाई में कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं। इसमें लोक सूचना अधिकारी से लेकर आयोग तक की जिम्मेदारियां बहुत संक्षिप्त और स्पष्ट हैं। इसलिए किसी भी प्रकरण के निराकरण में  इतनी लंबी सुनवाइयों की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए। लेकिन निचले स्तर पर प्रशासनिक अमला इस एक्ट के प्रति डेढ़ दशक बाद भी जागरूक नहीं है।


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