भोपाल।
मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के आज 6 माह पुरे हो जाने पर प्रदेश में सरकार के मंत्री, विधायक, प्रवक्ता एवं कांग्रेस के सभी पदाधिकारी आज जनता के बीच अपने काम काज का ब्यौरा रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कांग्रेस सरकार के छह माह पुरे हो जाने पर एक ब्लॉग लिखकर अपने मन की बात कही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि उन्हें समस्याग्रस्त प्रदेश मिला था, जनता की उम्मीदें पूरी करने का सरकार ने अभियान चलाया और उससे हर वर्ग की जिंदगी बदल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे विरासत में झुलसा और मुरझाया हुआ एक तंत्र मिला था।
मुख्यमंत्री ने अपने ब्लॉग में जहां एक ओर उनकी सरकार के कामकाजो का ब्यौरा पेश किया है तो वही उन्होंने भाजपा के 15 वर्षीया शासनकाल भर भी तंज कसा है। कमलनाथ ने लिखा कि “दूर तलक तपन थी कोई साया न था, धूप का ऐसा मौसम तो कभी आया न था। तपन थी भी बहुत लंबी, 15 वर्षों की। प्रदेश का सब कुछ झुलसा दिया था इस धूप ने, अर्थ तंत्र, सुशासन, नारी सम्मान, किसानों का जीवन, युवाओं का रोजगार, दलितों, आदिवासियों का आत्मसम्मान सब कुछ।”
‘एक लंबी तपन के बाद मानसून उनके द्वार खड़ा है। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबुओं के साथ नए उत्साह और उम्मीदों की दस्तक तो दे रहा है, लेकिन वह बीती लंबी तपन की पीड़ाएं भी कह रहा है।’ इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अन्य महत्वपूर्ण बाते भी कहीं हैं।
बिजली की खपत में हुई वृद्धि
बिजली को लेकर उन्होंने लिखा कि बिजली की खपत समृद्धि का द्योतक है। बीते छः माह में बिजली की खपत में 16 से 48 प्रतिशत तक वृद्धि हुई। पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देकर आगे लाया जा रहा है। बीते 6 माह की सरकार में प्रदेश की उम्मीदें परवान चढ़ रही हैं और बेटियां हिमालय। अब मां नर्मदा भी मैय्या क्षिप्रा के घर जा रही हैं, वर्षा झूम कर आ रही है और प्रदेश की तरक्की मुस्कुरा रही है।
हमें मिला आर्थिक बदहाल प्रदेश
आर्थिक बदहाली को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि का आलम यह था कि 8000 करोड़ का रेवेन्यू डेफिसिट था, कर्मचारियों की तनख्वाह के लाले पड़ रहे थे। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से उधार लेकर काम चलाया गया। प्रदेश पर एक लाख 87 हजार करोड़ का कर्ज हो गया था। 46 हजार बेटियां अपनी लाज नहीं बचा सकी थीं। 48 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हो गए थे। किसानों को फसलों के दाम मांगने पर गोलियां मारी जा रही थीं। बच्चों के भविष्य को व्यापमं के माध्यम से बेचा जा रहा था।
मुरझाया तंत्र मिला
‘लंबी झुलसती धूप के बाद मॉनसून का सुकून’ शीषक वाले ब्लॉक में एक कहावत ‘भगवान के घर देर है, मगर अंधेर नहीं है’ का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने लिखा है, “रोहिणी जितनी तपती है, बारिश उतनी ही अच्छी होती है। अंतत: मौसम ने अंगड़ाई ली, मॉनसून आ पहुंचा है। सबसे पहले किसानों के द्वार कर्जमाफी बनकर, फिर गरीबों के घर सस्ती बिजली की सौगात बनकर। अब अपराधों में भी कमी आ रही है, बेटियां 51 हजार रुपये विवाह में मदद भी पा रही हैं।”
मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि प्रदेश के नागरिकों की प्यास अब अधिकार बन रही है। शहरी विकास की संभावनाएं तरक्की की नई इबारत लिख रही हैं। नया निवेश आ रहा है, औद्योगिक विकास खुशियों के गीत गा रहा है, और उसमें प्रदेश के युवा का 70 प्रतिशत स्थान सुनिश्चित किया जा रहा है, गरीबों के घर बेहद सस्ती बिजली से रोशन हो रहे हैं।
आखिर में लिखा यह
कमलनाथ ने अंतत अपने ब्लॉग में लिखा कि बीते छह माह की अपनी सरकार में प्रदेश की उम्मीदें परवान चढ़ रही हैं और बेटियां हिमालय। युवा आशान्वित हैं और किसान आश्वस्त। पिछड़े दलित और आदिवासी भाइयों की चुनौतियां अवसरों में तब्दील की जा रही हैं। गौ माता गौशालाओं में घर पा रही हैं। अब मां नर्मदा भी मैया क्षिप्रा के घर जा रही हैं, वर्षा झूम कर आ रही है और प्रदेश की तरक्की मुस्कुरा रही है।”