भोपाल| मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 28 नवंबर को मतदान होना है, जनता को साधने सभी पार्टियां चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं| वहीं बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है| चुनाव लड़ रहे तीन मंत्री, पांच विधायकों समेत 8 बीजेपी प्रत्याशियों के नामांकन पर संकट के बदल मंडरा रहे हैं| वरिष्ठ आरटीआई एक्टिविस्ट और कांग्रेस के सूचना का अधिकार विभाग के अध्यक्ष अजय दुबे की शिकायत पर चुनाव आयोग द्वारा धार, उज्जैन, खड़वा, देवास, बड़वानी, रीवा और जबलपुर कलेक्टर से तत्काल प्रतिवेदन मांगा है । दुबे के अनुसार आयकर विभाग ने भी इन प्रत्याशियो के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त, एमपी मुख्य निर्वाचन आयुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर प्रदेश के मंत्री पारस जैन, अंतरसिंह आर्य, दीपक जोशी समेत कुल 8 प्रत्याशियों द्वारा एक से अधिक पेन नंबर के उपयोग करने को लेकर शिकायत की थी और इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी| पत्र के साथ उन्होंने नेताओं द्वारा पैन नंबर की हलफनामें में दी गई जानकारी को भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। जिससे सच सामने आ सके। दुबे ने मंत्री, विधायक द्वारा चुनाव के वक्त दिए शपथपत्र में गलत पैन नंबर का विवरण दिए जाने का दावा किया है। उन्होंने आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी को आधार बनाकर प्रत्याशियों की शिकायत की है। अब इस मामले में चुनाव आयोग ने धार, उज्जैन, खड़वा, देवास, बड़वानी, रीवा और जबलपुर कलेक्टर से तत्काल प्रतिवेदन मांगा है । दुबे का कहना है कि ऐसे जनप्रतिनिधियों से समाज /देश को खतरा है जो झूठी जानकारी देकर सत्ता संभाल सकते हैं। यह योजनाबद्ध तरीक़े से गलत जानकारी प्रस्तुत कर पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में ऐसे जनप्रतिनिधियों से जनता को खतरा है क्योंकि जो चुनाव लड़ते समय ही झूठ बोल रहे तो भविष्य में निर्वाचित जनप्रतिनिधि बनकर असत्य का उपयोग कर देश को अपूरणीय क्षति पहुचायेंगे। यह सर्वविदित है कि गलत जानकारी देकर चुनाव लड़ना अपराध है और यह कठोर सजा योग्य है।