तमिलनाडु में फिर ‘हिंदी’ पर बवाल, कमल हासन और डीएमके ने किया विरोध

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नई दिल्ली| तमिलनाडु में एक बार फिर हिंदी को लेकर बवाल शुरू हो गया है| स्कूलों में तीन भाषा प्रणाली पर केंद्र के प्रस्ताव विरोध तेज हो गया है|  सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इस नीति के प्रति विरोधी प्रतिक्रियाएं दी हैं। तमिलनाडु सरकार ने भी इसका विरोध किया है। जबकि विपक्षी दल के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर हिन्दी थोपी गई तो केंद्र सरकार १९६७ जैसे आंदोलन के लिए तैयार रहे। केंद्र के प्रस्ताव पर डीएमके और मक्कल नीधि मैयम ने विरोध किया है। डीमके के राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और मक्कल नीधि मैयम नेता कमल हासन ने इसे लेकर विरोध जाहिर किया है। सिवा ने केंद्र सरकार को विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए कहा कि हिंदी को तमिलनाडु में लागू करने की कोशिश कर केंद्र सरकार आग से खेलने का काम कर रही है।

दरअसल, केंद्र में मोदी सरकार का कामकाज शुरू होने के बाद अब नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर कामकाज शुरू हो गया है।  नई शिक्षा नीति का मसौदा वेबसाइट पर चस्पा कर लोगों से प्रतिक्रिया मांगी गई है। इस नीति के तहत त्रिभाषाई फार्मूले की सिफारिश की गई है। गैरहिन्दीभाषी क्षेत्र में मातृभाषा, संपर्क भाषा अंग्रेजी के अलावा तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी को अनिवार्य किए जाने की अनुशंसा है। इस मसौदे का तमिलनाडु में विरोध शुरू हो गया है। पॉलिसी में सबसे ज्यादा फोकस भारतीय भाषाओं पर किया गया है। शिक्षा नीति के लागू होने से पहले ही तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) के सांसदों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।


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