माता-पिता ने नही उठाया तो बिना सेहरी रख लिया रोजा

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जावद। जावद नगर के मशहुर साहित्यकार एवं पत्रकार स्वर्गीय ईस्माइल जी राही के पोते एवं समाज सेवी हबीब राही के पुत्र अदनान राही काफी दिनों से रोजा रखने की जिद किए जा रहा था, परिजनो ने बच्चे की कमजोर स्थिती का हवाला देते हुए उसे रोजे रखने के लिए मना कर दिया। लेकिन बच्चा माना नहीं और अपने ईश्वर के लिए बिना सेहरी का रोजा रख लिया। जब सुरज आग उगल रहा था और परा 42 डिग्री पर था तो भी बच्चे ने किसी को भी ना बता कर रोजा रखा, जब उसे सुबह ब्रश करने को कहा तो उसने बताया की मैं आज पुरा रोजा रखुगा परिवार ने कहा की बिना खाए-पिए दिन भर भुखा केसे रह सकते हो तो बच्चे ने जवाब दिया की मैं यह रोजा पुरा करूंगा। बच्चे की जिद के आगे परिवार को भी झुकना पड़ा और बच्चे ने रोजा पुरा कर लिया। इस गर्मी के मौसम में जब बड़े व्यक्ति रोजा रखने को कतराते है उन्हे इस बच्चे से सीख लेना चाहिए और अपने ईश्वर को खुश करने के लिए रोजा रखना चाहिए।

बिना सेहरी का मतलब यह होता है कि मुस्लिम समाज रमजान में रोजे रखते है तो वह रात्री 3 से 4 बजे के बीच कुछ खाना-पिना करते है और उसके बाद शाम तक कुछ भी नहीं खाते पीते। फिर शाम को लगभग 7 बजे के बाद अपना रोजा खोलते है यानी की भोजन पानी का सेवन किया जाता है। बच्चे के रोजे रखने से घर में खुशी का माहोल है। इस खुशी के मौके पर बच्चे ने अपने पड़ोसियों एवं दोस्तो को मिठाई वितरीत की। अदनान समता वि़द्यापीठ के कक्षा 5वीं में पड़ता है जिसकी उम्र 12 साल है यह नमाज का भी पाबंद है जो की अपने दादाजी से सिखा है।


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