ग्वालियर। गर्मियों में ग्वालियर के पहाड़ी क्षेत्रों में हमेशा पानी की परेशानी होती है। कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं जहाँ ग्रामीण बूंद बूंद पानी के लिए तरस जाता है ऐसे में 12 मई को ऐसे क्षेत्रों में होने वाले मतदान को लेकर प्रशासन और राजनैतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें है। अभी तक के विभागीय सर्वे के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र के 54 पोलिंग बूथों पर पानी नहीं है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की टीम पिछले कुछ दिनों से पानी की कमी वाले क्षेत्रों का सर्वे करने में जुटी हैं। मौजूदा स्थिति में सबसे ज्यादा बुरा हाल घाटीगांव-आरोन क्षेत्र में है, जहां जलस्तर पिछले तीन महीनों 25 फीट से ज्यादा गिर गया है। यहां नल-जल योजनाएं सूख चुकी हैं। अब चुनौती यह है कि मतदान के दिन यानि 12 मई को मतदाताओं के लिए भीषण गर्मी में पानी का इंतजाम टैंकरों के भरोसे ही है। पंचायत को यह जिम्मा दिया गया है। आंकड़ा 54 है या इससे भी ज्यादा, यह सर्वे पूरा होने के बाद ही सामने आएगा। ज्ञात रहे इस बार लोकसभा चुनाव-2019 में मतदान के दिन गर्मी अच्छी खासी रहेगी। इस गर्मी में मतदाताओं का पोलिंग बूथ तक निकलना ही बड़ी बात होगी। ऐसे में पोलिंग बूथों पर पानी के इंतजाम बेहद जरूरी हैं। निर्वाचन टीम के अनुसार मतदान केंद्रों पर छांव, पानी सहित केरी पना की व्यवस्था की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी ने यह भी निर्देश दिए हैं कि जितने मतदान केंद्रों पर संभव हो सकता है, वहां कूलर की व्यवस्था की जाए। लेकिन जिन मतदान केंद्रों पर पानी की व्यवस्था नहीं है वहां परेशानी आए���ी। इसके लिए प्रशासन ने पंचायत के माध्यम से टैंकरों की व्यवस्था कराने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों में जलस्तर इतना नहीं गिरा था और ग्रामीण क्षेत्र के सिर्फ 20 पोलिंग बूथ ऐसे थे, जहां पानी की व्यवस्था नहीं थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं पिछले तीन माह में जलस्तर 25 फीट से ज्यादा गिरने से गंभीर हालात बन गए हैं।घाटीगांव, आरोन, भितरवार, डबरा क्षेत्र में कुछ बेल्ट ऐसे भी हैं, जहां ज्यादा जलस्तर गिरा है। इनमें आने वाले पोलिंग बूथों पर अगर पानी टैंकरों नहीं गया तो परेशानी ज्यादा आएगी। और मतदान प्रभावित होगा। पंचायत को दी गई व्यवस्था का प्लानिंग अनुसार पालन होना बहुत जरूरी है, वरना इससे मतदाता परेशान होगा। वहीँ मतदान दलों के लिए भी पर्याप्त पेयजल व्यवस्था होना जरुरी है।