ये तो हुआ भारतीय समाज में अभिवादन करने का तरीका…इसी प्रकार दुनियाभर में अलग अलग स्थानों पर एक दूसरे से मिलते हुए अभिवादन करने के अलग अलग तरीके हैं। आईये आपको कुछ ऐसे ही दिलचस्प अभिवादन के तरीकों के बारे में जानकारी देते है-
न्यूज़ीलैंड – यहां आपस में मिलने के पारंपारिक तरीके को ‘होन्गी’ कहते हैं। इसके अनुसार दो लोग आपस में मिलते समय अपनी नाक से दूसरे की नाक रगड़ते हैं। माना जाता है कि यह लंबी सांसों की कामना का प्रतीक है।
तुवालु – यहां की अभिवादन की परंपरा के बारे में सुनकर आपको अजीब लग सकता है, लेकिन ये सच है कि तुवालु के लोग एक दुसरे के साथ चेहरा चिपका कर एक दूसरे को सूंघते हैं। इस प्रथा को यहां सोगी कहते हैं।
केन्या – यहां बाकी दुनिया की तुलना में सबसे लंबा स्वागत अभिवादन होता है। केन्या का मासई आदिवासी समुदाय के लोग अपने मेहमान के स्वागत में अदामु नृत्य करते हैं, नृत्य से पहले वहां कोई कहानी सुनाई जाती है और फिर घेरे में कूदा जाता है। इसमें सबसे सभी की कोशिश ऊंचे से ऊंचा कूदने की होती है।
फिलिपिंस – इनका मिलने का अपना अलग अंदाज है। यहां छोटे बड़े व्यक्तियों के सामने झुक कर उनके हाथों पर अपना माथा रगड़ते हैं। बड़े ‘मानो पो’ कह कर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
यूक्रेन – यहां अभिवादन का तरीका कुछ वैसा ही है जैसा कि हम सामान्य रूप से सेलीब्रिटिज़ मिलते हुए करते हैं। यूक्रेन में लोग गाल से गाल मिला कर तीन बार चूमते हैं। ये बाएं गाल से शुरू होकर बाएं गाल पर ही रूकते हैं।
फ्रांस – यहां एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन के तरीके को ‘ला बिस’ कहते हैं, इसमें गाल से गाल मिलाकर दो बार हवा में किस किया जाता है। ये लोग विदाई के समय भी यही दोहराते हैं।
ग्रीनलैंड/लैपलैंड – यहां ठंड में रहने वाले एस्किमो मेहमान का स्वागत एक दूसरे की नाक को हल्के से रगड़कर करते हैं, इसे कुनिक कहा जाता है। इसके अलावा मिलने के दौरान लोग मेहमान के बाल और गाल को सूंघकर पहचानने की कोशिश करते हैं, ऐसे वो नए लोगों को उनके अंदाज से पहचानने की कोशिश करते हैं।
तिब्बत – हमारे यहां किसी को देखकर जीभ निकालना असभ्यता के दायरे में आता है, दुनिया के कई अन्य स्थानों पर भी इसे बुरा ही माना जाता है लेकिन तिब्बत में कुछ इस तरीके से आप मिलते समय मेहमान का अभिवादन या स्वागत करते हैं। यह प्रथा 9वीं सदी में राज करने वाले काली जुबान वाले तिब्बती राजा क्रूर लंगडरमा के दौर से चली आ रही है। इस प्रथा के पीछे का मकसद ये है कि असल में तिब्बती लोग उनसे मिलने आए व्यक्ति को अपनी जीभ दिखाकर यह बताते हैं कि राजा लंगडरमा से उनका कोई संबंध नहीं है और न ही उनकी जीभ काली है।