श्री सम्मेद शिखरजी : जैन धर्म में सम्मेद शिखरजी को सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है।इस पुण्य स्थल पर जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष प्राप्त किया था।
अयोध्या : कुल परंपरा के सातवें कुलकर नाभिराज और उनकी पत्नी मरुदेवी से ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण 9 को अयोध्या में हुआ था। इसलिए अयोध्या भी जैन धर्म के लिए तीर्थ स्थल है
कैलाश पर्वत : कैलाश पर्वत पर ही ऋषभदेव को कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। नाथ कहने से वे नाथों के नाथ हैं। वे जैनियों के ही नहीं, हिन्दू और सभी धर्मों के तीर्थंकर हैं, क्योंकि वे परम प्राचीन आदिनाथ हैं।
तीर्थराज कुंडलपुर : ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहां तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल तेरस को वर्धमान का जन्म हुआ। यही वर्धमान बाद में स्वामी महावीर बने।
पावापुरी : पावापुरी वह स्थान है, जहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की उम्र में 526 ईसा पूर्व निर्वाण प्राप्त किया था।
गिरनार पर्वत : गिरनार पर्वत पर 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने कैवल्य ज्ञान (मोक्ष) प्राप्त किया था। यह सिद्धक्षेत्र माना जाता है।
पालिताणा जैन तीर्थ : पालिताणा जैन मंदिर गुजरात के भावनगर से 51 किलोमीटर की दूरी पर शतरुंजया पहाड़ पर स्थित है। शतरुंजया पर स्थित जैन मंदिर पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है।