द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बन चुकी हैं। उनका राष्ट्रपति बनने तक का सफर आसान नहीं था। इस सफर में उन्होंने बहुत कुछ खोया और लोगों को बहुत कुछ दिया भी
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 में उड़ीसा के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनका बचपन गरीबी से भरा रहा।
लेकिन द्रौपदी मुर्मू ने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होनें अपना परिवार चलाने के लिए एक टीचर की नौकरी की।
उन्होनें श्याम चरण से प्रेम विवाह रचाया लेकिन बीच सफर में ही पति ने साथ छोड़ दिया। दुख का पहाड़ तब टूटा जब उनके 2 बेटे दुनिया छोड़ चले गए।
2002-2004 में वो बीजेपी और बीजेडी के गठबंधन सरकार में मंत्री रहीं। साथ ही द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली ऐसी गवर्नर है जिन्होंने 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया।
1997 में द्रौपदी मुर्मू ने बीजेपी के साथ अपना पॉलिटिकल करियर शुरू किया था। साथ ही ओडिशा के रायरंगपुर की पहली नगर पंचायत की काउन्सिलर बनी।
यह भी कहा जाता है की 2016 में मुर्मू ने अपने आँखों को डोनैट करने की घोषणा कर दी थी। यह कार्यक्रम कश्यप मेडिकल कॉलेज रांची द्वारा चलाया जा रहा था।
अपने पति और बेटों की मौत के बाद मुर्मू ने अपना जीवन समाज सेवा को समर्पित कर दिया। उन्हें ओडिशा विधानसभा में अच्छा कार्य करने के लिए 2007 में नीलकंठ अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया था।