आज भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह आजादी वर्षों के संघर्ष के बाद मिली। लेकिन क्या आपको पता भारत के आजादी के संघर्ष में मिठाइयों का भी खास महत्व रहा।
बंगाली क्रांतिकारियों को पैक ऑफ बंगाली स्वीट्स कहा जाता था। स्वादिष्ट रसगुल्ले के कहानी उस वक्त के प्रमुख वकील चेत्तूर शंकरण नायर से जुड़ी है।
1857 की पहली आजादी की लड़ाई के दौरान मशहूर तवायफ़ अजीजन बी क्रांतिकारियों तक गुप्त संदेश बताशे और लड्डू के डब्बे में भिजवाती थी।
15 अगस्त 1947 में लाल किले में जब पूरा देश शामिल हुआ था तब फ्री में लड्डू बांटे गए थे।
वर्ल्ड वॉर के दौरान सैनिकों को तिल के लड्डू और सेवई भेजी जाती थी। फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान लड्डू उन भारतीय सैनिकों को भेजे जाते थे, जो Belgium और France के ट्रेंच में नियुक्त थे।
बर्फ़ी को अलग ढंग से बनाई जाती थी, जो ताजा कार्टिज को भेजे गए पार्सल का संकेत देती थी। उस वक्त मिठाइयों के अलग नाम होते थे, जिसके से तिरंगी बर्फ़ी मशहूर थी।
भगत सिंह और आजाद जैसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी रात में दिल्ली के मातिया महल में इकट्ठा होते थे और चाय के साथ पूरी-हलवा का लुफ्त उठाते थे।
स्वतंत्रता दिवस के दिन जलेबी खाने की परंपरा है। आजादी के पहले जलेबी संदेश भेजने में काम आती थी। भगत सिंह को एक उर्दू अखबार में जलेबी लपेटकर संदेश पहुंचाया गया था।