हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय माने जाने वाले भगवान श्री गणेश की पूजा हर रूप में शुभ एवं मंगलकारी मानी गई है. इसी शुभत्व को पाने के लिए लोग हर साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा से जुड़ा 10 दिनी उत्सव मनाना प्रारंभ करते हैं.
गणपति का आशीर्वाद और उनसे मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए लोग इस दिन उनकी अलग-अलग आकार वाली प्रतिमा को अपने घर में बिठाने के लिए लेकर आते हैं.
लेकिन ऐसा करने से पहले आपको भगवान गणेश की विभिन्न प्रतिमाओं की पूजा से मिलने वाले फल के बारे में जरूर पता होना चाहिए. आइए गणपति की अलग-अलग मूर्तियों की पूजा के फल को विस्तार से जानते हैं.
मान्यता है कि यदि आप अपने घर में आशीर्वाद मुद्रा बैठे हुए गणपति की प्रतिमा लेकर आते हैं और उनकी विधि-विधान से पूजा करने पर जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर और मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरे होती हैं.
गणपति की नृत्य मुद्रा वाली मूर्ति उन लोगों के लिए अत्यंत ही शुभ मानी गई है, जो लोग किसी कला आदि की साधना से जुड़े हुए हैं. मान्यता है कि गणपति की नृत्य करते हुए या फिर किसी वाद्य यंत्र को बजाते हुई मूर्ति की पूजा करने पर कला जगत में मनचाही प्रगति और प्रसिद्धि प्राप्त होती है.
गणपति की तमाम तरह की प्रतिमाओं में उनकी लेटे हुई या फिर कहें आराम की मुद्रा वाली प्रतिमा की पूजा करने पर व्यक्ति सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. मान्यता है कि गणपति की लेटी हुई प्रतिमा की पूजा करने पर व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि स्थायी रूप से बनी रहती है.
मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति चूहे पर खड़े गणपति की मूर्ति की पूजा करता है, वह अपने जीवन में बड़ी से बड़ी से जिम्मेदारी को आसानी से उठाने में कामयाब होता है. वास्तु के अनुसार मूषक पर खड़े हुए गणपति को साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
मान्यता है कि गणपति की दांयी ओर घूमी हुई सूंड़ वाली प्रतिमा की बजाय बायीं ओर सूंंड़ किए प्रतिमा को लाकर पूजा करनी चाहिए. दांयी ओर घूमी हुई सूंड़ वाले गणपति को बहुत हठी माना गया है.
घर में भूलकर भी प्लास्टर ऑफ पेरिस या केमिकल आदि से बनी प्रतिमा को लाकर पूजा नहीं करना चाहिए. शुभता की दृष्टि से मिट्टी के गणपति को लाकर ही घर में पूजा करनी चाहिए.
यदि मिट्टी के गणपति न मिल पाएं तो आप आप सफेद मदार की जड़, नीम की लकड़ी से बनी गणपति की मूर्ति या फिर स्फटिक, आदि से बनी मूर्ति भी घर में लाकर पूजा कर सकते हैं. यदि कुछ भी न मिले तो आप सुपारी के गणपति की पूजा कर सकते हैं.
गणपति की मूर्ति लेते समय इस बात को सुनिश्चित कर लें कि उसमें उनके हाथों में पाश और अंकुश दोनों होंं और साथ ही साथ उनका वाहन चूहा भी बना हो. इसी प्रकार गणपति की मूर्ति में यह भी देखें कि उन्होंने जनेउ भी धारण किया हो.
गणपति की मूर्ति को घर के उत्तर-पूर्व कोने यानी ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए. ऐसा करते समय इस बात का पूरा ख्याल रखें कि पूजा करते समय आपको उनकी पीठ न दिखाई पड़े.