हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. इस पावन तिथि का सनातन परंपरा में बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है क्योंकि इस दिन जगत के पालनहार माने वाले भगवान श्री हरि विष्णु के अनंत स्वरूप की विशेष रूप से पूजा की जाती है तो वहीं इसी पावन तिथि पर गणपति को गाजे-बाजे के साथ विदा करते हुए उनकी मूर्ति का नदी, तालाब या समुद्र आदि में विसर्जन किया जाता है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि वेदव्यास को महाभारत को लिखने के लिए किसी ऐसी दिव्यात्मा की आवश्यकता थी जो बगैर रुके हुए इसे लिख सके. इसके लिए जब उन्होंने ब्रह्माजी से प्रार्थना की तो उन्होंने यह कार्य बुद्धि के देवता भगवान श्री गणेश से करवाने के लिए कहा.
मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास के अनुरोध पर गणेश जी ने बगैर रुके महाभारत को लिखा. मान्यता है कि 10वें दिन जब महर्षि वेदव्यास ने गणपति को देखा तो पाया कि उनके शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया है
इसके बाद उन्होंंने गणपति के तापमान को कम करने के लिए उनके शरीर पर मिट्टी का लेप लगाया. जिसके सूखने के बाद भगवान श्री गणेश जी ने नदी में डुबकी लगवाई. मान्यता है कि वह दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था. यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के दसवें यानि अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी मूर्ति का विधि-विधान से विसर्जन किया जाता है.
पंचांग के अनुसार गणपति बप्पा की विदाई के लिए जानी जाने वाली अनंत चतुर्दशी इस साल 08 सितम्बर 2022 को रात्रि 09:02 बजे प्रारंभ होकर 09 सितंबर 2022 को सायंकाल 06:07 बजे तक रहेगी.
गणेश विसर्जन के लिए सुबह का शुभ मुहूर्त – प्रात:काल 06:03 से 10:44 बजे तक गणेश विसर्जन के लिए दोपहर का शुभ मुहूर्त – दोपहर 12:18 से 01:52 बजे तक गणेश विसर्जन के लिए शाम का शुभ मुहूर्त – सायंकाल 05.00 से 06:31 बजे तक गणेश विसर्जन के लिए रात्रि का शुभ मुहूर्त – रात्रि 09:26 से 10:52 बजे तक
गणपति की मूर्ति को विसर्जित करने से पहले एक बार फिर गणपति की प्रार्थना करें और पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगते हुए अगले साल फिर आने का आमंत्रण दें और फिर खुद को सुरक्षित रखते हुए गणपति को नदी या सरोवर आदि में विसर्जित कर दें.