भारतीय मिठाइयों की गिनती में गुलाब जामुन हमेशा टॉप पर रहता। लोग इसके स्वाद के दीवाने होते हैं। इसकी कहानी भी काफी दिलचस्प है।
आज भारत में गुलाब जामुन की अलग-अलग वराइटी है। लेकिन इसे फारसी स्वीट डिश "लुकमत-अल-कादी" से प्रेरित होकर बनाया गया था।
कहा जाता है कि पहली बार गुलाब जामुन मुग़ल काल में बनाया गया था। इसे बनाने का श्रेय शाहजहाँ के शेफ को जाता है। जिन्होनें गलती से इस मिठाई को बादशाह के पास पेश कर दिया था।
इससे जुड़ी एक दूसरी कहानी भी है। 1850 के अंत में कोलकाता के एक हलवाई भीम चंद्र नाग को इस स्वादिष्ट मिठाई को बनाने का श्रेय दिया जाता है।
भीम चंद्र नाग ने यह मिठाई गवर्नर जनरल लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग की पत्नी लेडी कैनिंग के लिए बनाई थी। उन्हें मिठाई बहुत पसंद आई थी। उन्हीं के नाम से इसे लोग "लेदिकनी" बुलाने लगे।
अपने कभी सोचा है की "गुलाब जामुन" को यह नाम कैसे मिला। दरअसल, "गुलाब" फारसी शब्द है "गोल" और "अब" से लिया गया है। जिसका मटकब फूल और पानी होता है।
मिडल ईस्ट में इस मिठाई को रोज वॉटर में भिगोया जाता था। वहीं यह दिखने में भारतीय फल जामुन की तरह होता है। इसलिए लोगों इसे गुलाब जामुन कहना शुरू कर दिया।