Mahabharat : क्यों युधिष्ठिर का रथ हवा में रहता था, और वह कब धरती पर आ गिरा?
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युधिष्ठिर का रथ हमेशा हवा में चलता था क्योंकि वे सत्यवादी और धर्मराज थे, लेकिन एक दिन यह अचानक धरती पर आ गिरा, जिससे सभी हैरान रह गए।
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युधिष्ठिर को कभी झूठ न बोलने वाला कहा जाता था। उनके सत्य और धर्म का ही परिणाम था कि उनका रथ धरती से ऊपर चलता था।
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पांडवों में सिर्फ युधिष्ठिर को ही सत्य और न्याय का प्रतीक माना जाता था, जबकि बाकी भाइयों के बारे में ऐसा नहीं कहा गया।
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युधिष्ठिर के सत्य पालन की आदत से उनके भाई और द्रौपदी कभी-कभी नाराज हो जाते थे, खासकर जुए में सब हारने और वनवास के दौरान।
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युधिष्ठिर का जन्म यमराज के आशीर्वाद से हुआ था, जिससे वे धर्म के प्रति अडिग रहे और उनके रथ के हवा में रहने की यही वजह थी।
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महाभारत युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने पहली बार झूठ का सहारा लिया जब उन्होंने आधा सच बोलते हुए कहा, "अश्वत्थामा मारा गया... पर वह हाथी था।"
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युधिष्ठिर के इन शब्दों ने द्रोणाचार्य को हिला दिया, जिससे वे निःशस्त्र हो गए और उनकी हत्या कर दी गई। इसी कारण युधिष्ठिर का रथ जमीन पर आ गिरा।
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युधिष्ठिर ने जीवनभर धर्म का पालन किया, लेकिन इस एक छल के कारण उन्हें स्वर्ग जाते समय नरक की झलक देखने को मिली, जिससे साबित हुआ कि सबसे धर्मी व्यक्ति भी परिस्थितियों के दबाव में गलत निर्णय ले सकता है।
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