पोस्टिंग में प्रभारी मंत्रियों का बढ़ा दखल, कानून-व्यवस्था बिगड़ी तो जिम्मेदार कौन

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भोपाल। प्रदेश में इन दिनों तबादले का सीजन चल रहा है। मंत्रियों और उनके मातहतों के माध्यम से अधिकारी कर्मचारी मनचाही पोस्टिंग के लिए खूब जोरआजमाइश में लगे हुए हैं। मंत्रियों की विभागीय तबादलों के साथ-साथ प्रभार वाले जिलों में भी तबादलों में खासी रुचि दिखाई दे रही है। तबादला नीति के तहत जिलों में तबादले प्रभारी मंत्री अनुशंसा से ही होंगे। इसी का फायदा उठाकर अब प्रभारी मंत्री तय कर रहे हैं कि थानों में टीआई किसे रखना है, तहसील में तहसीलदा�� और अनुविभाग में एसडीएम कौन होगा। ऐसे में यदि जिले की कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो फिर कलेक्टर-एसपी की जिम्मेदारी तय होती है। 

तबादलों को लेकर कमलनाथ सरकार शुरू से ही बदनाम हैं। सरकार ने ऐसे अधिकारियों को भी मलाईदार पोस्टिंग दी है, जो दागी हैं। तबादलों से रोक हटने के बाद अब हर विभाग तबादला सूची तैयार करने में जुटा है। मजेदार बात यह है कि एक ओर जहां प्रदेश में कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है, वहीं दूसरी ओर थानों में टीआई पदस्थ करने में राजनीतिक दखल बढ़ता जा रहा है। अमूमन किस थाने में किसे थाना प्रभारी बनाया जाए, यह एसपी तय करते हैं। क्योंकि कानून-व्यवस्था बिगडऩे की स्थिति में एसपी की जिम्मेदारी तय होगी। इसी तरह तहसीलदार और एसडीएम की फील्ड में पदस्थापना कलेक्टर तय करते हैं। हालांकि इसमें प्रभारी मंत्रियों की अनुशंसा की खानापूर्ति होती रही है। लेकिन मौजूदा मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में अपनी पसंद से थाना प्रभारी तय कर रहे हैं। जिलों में ज्यादा कमाई वाले थानों में राजनीतिक दखल से टीआई पदस्थ हो रहे हैं। यही स्थिति तहसीलदार और एसडीएम की पदस्थापना में है। ऐसे में यदि जिले की कानून और प्रशासनिक व्यवस्था गड़बड़ाती है तो फिर कलेक्टर-एसपी को जिम्मेदारी ठहराना कहां तक उचित है। 


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