एनसीएचआरओ ने उठाई विचाराधीन बंदियों के लिए आवाज़

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भोपाल। प्रदेश से लेकर देशभर की जेलों में अपने फैसलों के इंतज़ार में घुट रहे हज़ारों लोगों के मानवाधिकार के लिए आवाज़ें तेज होने लगी हैं। नेशनल कांफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन(एनसीएचआरओ) ने इसका बीड़ा उठाया है। एनसीएचआरओ ने रविवार को भोपाल में इस मामले में एक सेमिनार का आयोजन किया। गांधी भवन में हुए इस सेमिनार का विषय ‘देरी से मिला न्याय,अन्याय है’ था। जिसमे वक्ताओं ने विचाराधीन कैदियों के सवाल को उठाया।

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता एलएस हरदेनिया ने कहा कि आज देश में जिस तरीके से न्याय प्रणाली में सुधार की जरूरत है वह सुधार नहीं किया जा रहा है ऐसा नहीं होने की वजह से विचाराधीन कैदियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है उन्होंने कहा कि जेलों पर ज़रूरत से ज़्यादा बोझ और कर्मचारियों की कमी के चलते भारतीय जेलें राजनीतिक रसूख वाले अपराधियों के लिए एक आरामगाह और सामाजिक-आर्थिक तौर पर कमज़ोर विचाराधीन कैदियों के लिए नरक हैं। उन्होंने सभी सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से एकजुट होकर विचाराधीन कैदियों के मामले में नई नीति बनाने के लिए पुरजोर आवाज उठाने की अपील की है ।


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