भोपाल। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण और सातवें चरण के लिए वोटिंग रविवार को होना है। चुनाव परीणाम 23 मई को आएंगे। नतीजों के बाद कमलनाथ सरकार की अहम कैबिनेट बैठक होना है। इस बैठक में बड़े फैसलों पर मुहर लगना है। इनमें से एक है पंचायतों से रेत खनन अधिकारों वापस लेना। इसके लिए कैबिनेट बैठक में चर्चा के बाद इसको पारित कर दिया जाएगा। जिसके बाद पंचायत के पास रेत खनन के अधिकार नहीं रहेंगे।
नवंबर 2017 में बीजेपी पूर्व सरकार ने पंचायतों को रेत खनन के अधिकार दिए थे। इसमें खदानों का निर्धारण, खनन योग्य रेत की मात्रा का निर्धारण सरकारका पास था पर सरकार द्वारा तय रॉयल्टी लेकर रेत पंचायत द्वारा बेची जा रही थी। रेत की बुकिंग और विक्रय ऑन लाइन हो रहा था। माइनिंग प्लान बनाने और सक्षम प्राधिकारी से उसका अनुमोदन भी पंचायतें कर रही थीं। शहरी क्षेत्र में यह काम नगरीय निकाय के पास है। हालांकि, कमलनाथ सरकार ने इस नीति पर अलग रूख अपनाया है। नई सरकार के मुताबिक जबसे पंचायतों के पास यह अधिकार गए हैं तब से रेत के अवैध खनन के मामलों में इज़ाफा हुआ है और सरकार को मिलने वाला राजस्व घटा है। मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, खनन मंत्री प्रदीप जयसवाल ने कहा कि, सरकार द्वारा खानों की नीलामी की जाएगी और नई खानों की पहचान की प्रक्रिया भी जारी है, ताकि राजस्व में वृद्धि की जा सके। उन्होंने कहा कि हालांकि, पंचायतों को निश्चित राशि रॉयल्टी मिलेगी। यह प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में जल्द लाया जाएगा। मानसून में खाने बंद रहती हैं। मानसून के जाने से पहले ही खानों की नई नीति लागू की जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि सरकार की इच्छा के बाद उन्होंने इस उद्देश्य के लिए बैठकें कीं। अधिकारियों ने कहा कि रेत के भंडारण मानदंडों में कुछ बदलाव प्रस्तावित हैं जो नई नीति के साथ लागू होंगे।