Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1

यह तो अंधा कानून है हुजूर

bhopal-news-

भोपाल।

एक प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी को एक द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी की रंजिश के चलते बिना कोई मामला दर्ज हुए 9 घंटे तक थाने में बिठा कर रखा जाए और उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाए तो शायद अगर विपक्ष में होती तो अब तक कांग्रेस सरकार की धज्जियां बिखेर देती। लेकिन सरकार कांग्रेस की है और मामला भी उस जिले का है जहां से तीन तीन  नुमाइंदे सरकार के मंत्री हैं तो फिर भला आवाज कौन उठाएं। ग्वालियर के प्रशासन की निर्लज्जता और मनमानी का यह मामला आदिम युग की याद दिला देगा। जरा सारे घटनाक्रम को ध्यान से पढ़िए। ग्वालियर की एसडीएम दीपशिखा भगत पहुंचती है सिटी सेंटर स्थित गर्ग चाइल्ड एंड मदर केयर सेंटर पर। वे वहां मौजूद गजरा राजा मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रतिभा गर्ग से गर्भपात कराने की बात कहती है। डॉ प्रतिभा उन्हें सलाह देती है कि वे अपने 8 सप्ताह के गर्भ को न गिराये। एसडीएम के जिद करने पर प्रतिभा उन्हें सोनोग्राफी कराने की सलाह देती है। एसडीएम की जाने के एक घंटे बाद विश्वविद्यालय थाने की पुलिस आती है और डॉक्टर प्रतिभा को उठाकर ले जाती है मानो डॉक्टर ना हो कोई डकैत हो। सुबह 11:30 बजे से रात 9:00 बजे तक प्रतिभा को विश्वविद्यालय थाने में बिठा कर रखा जाता है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। ग्वालियर शहर के डॉक्टरों को जब पता चलता है तो वे कलेक्टर अनुराग चौधरी के पास जाते हैं। चौधरी बताते हैं कि प्रतिभा ने संगीन जुर्म किया है और गर्भपात से जुड़े हुए सारे स्टिंग सबूत प्रशासन के पास है। हालांकि मांगे जाने पर प्रशासन ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाता। डॉक्टर जब विश्वविद्यालय थाने पहुंचते हैं तो पुलिस कहती है कि मामला उनके क्षेत्र का नहीं प्रशासन ने दवाब डालकर जबरदस्ती डॉक्टर को उनके थाने में बिठा रखा है। आखिर डॉक्टरों की दबाव के चलते डॉ प्रतिभा को 9 घंटे बाद छोड़ दिया जाता है। 


About Author
Avatar

Mp Breaking News