भोपाल। ग्वालियर में सिंधिया स्कूल को 413 करोड़ कीमत की 146 एकड़ सरकारी जमीन मुफ्त में देने का मामला गरमा गया है| भाजपा विधायक विजय शाह ने विधानसभा में इस मामले में सवाल कर सरकार को घेरा था। आरोप है कि कमलनाथ सरकार बनते ही द सिंधिया स्कूल को 413 करोड़ रुपए कीमत की सरकारी जमीन मुफ्त में दे दी गई जबकि यह स्कूल निर्धन छात्रों को फ्री में शिक्षा नहीं देता। इस स्कूल की फीस लाखो में है और इसमें विदेशी छात्र तक पढ़ने आते हैं। अब इस मामले पर बीजेपी विधायक व पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कडा प्रहार किया है|
पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि करोड़ो की जमीन महाराजाओं को मुफ्त में देना जनता के साथ अन्याय है| गुटीय राजनीति पर पर्दा डालने के लिए कमलनाथ सरकार ने ये फैसला लिया है| मध्य प्रदेश की जमीन प्रदेश की जनता की है महराजाओं की नही| उन्होंने कहा सरकार गजब के निर्णय ले रही है, एक तरफ 413 करोड़ की कीमत महज 100 रुपए में महाराजा सिंधिया को दे दी, ताकि वो उस जमीन से करोड़ों कमा सके, वहीं दूसरी तरफ गरीबों को पांच रुपए में मिलने वाला निवाला छीन लिया| यह कैसा न्याय| सिंधिया के पास पहले से ही हजारों एकड़ जमीन स्वयं की है, फिर सरकारी जमीन मुफ्त के मुफ्त के भाव में क्यों? जबकि उनकी एजुकेशन संस्था लाखों रुपए लेकर शिक्षा को बेचती है|
यह है मामला
विधानसभा में बीजेपी की तरफ से पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्कूल को जमीन आवंटित करने का मामला विधानसभा में उठाया गया| पूर्व शिक्षा मंत्री विजय शाह ने मामले को सदन में उठाकर सरकार से जबाव मांगा| विजय शाह ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को 13 फरवरी 2019 को कमलनाथ सरकार ने ग्वालियर के ग्राम आहूखाना कला में 146 एकड़ जमीन, (जिसका बाजार मूल्य 4 अरब 13 करोड़ 10 लाख 50 हजार रुपए है) को जीरो प्रतिशत ब्याज पर आवंटित कर दी| बीजेपी सरकार ने 2012 में इस जमीन का आवंटन नहीं किया था लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस जमीन को सिंधिया को गिफ्ट में दे दिया| उनका आरोप है कि सिंधिया का स्कूल गरीबों का स्कूल नहीं है, यहां विदेशों से बच्चे आते हैं और देश के बड़े पैसे वालों के बच्चे पढ़ते हैं| ऐसे स्कूल को चार अरब से ज्यादा कीमत की जमीन जीरो प्रतिशत ब्याज पर आवंटित नहीं करनी थी|
लाखो की फीस वसूलती है संस्था
सिंधिया स्कूल की फीस भारतीय और विदेश छात्रों के अलग अलग है। सिंधिया स्कूल में नए एडमिशन पर पहली किश्त 3.50,000 की होती है, वहीं दूसरी किश्त 4.85,000 और तीसरी किश्त में 4.65,000 हजार रुपए लिए जाते हैं| इस तरह कुल 13 लाख की फीस वसूली जाती है| इस फीस से ही अंदाजा लगाया जा सकता है, यह कितना सस्ता स्कूल है| जिसे सरकार की मदद की जरुरत क्यों है?
कलेक्टर और प्रमुख सचिव ने की थी आपत्ति
सूत्रों के मुताबिक सिंधिया स्कूल को मुफ्त में जमीन देने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगने से पहले ग्वालियर कलेक्टर और प्रमुख सचिव राजस्व ने आपत्ति की थी। ग्वालियर कलेक्टर ने सरकारी गाइडलाइन के हिसाब से शैक्षणिक संस्था को 25 फीसदी कीमत देकर जमीन देने का प्रस्ताव भेजा था। ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव ने सिंधिया स्कूल को सरकारी जमीन देने का जो प्रस्ताव सरकार को भेजा था, उसमें जमीन की कीमत करीब 100 करोड़ रुपए लगाई गई थी। कलेक्टर ने शैक्षणिक संस्था होने की वजह से सिंधिया स्कूल के लिए 25 फीसदी राशि देकर जमीन देने का प्रस्ताव तैयार किया था। कलेक्टर के प्रस्ताव से राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी भी सहमत थे। लेकिन प्रस्ताव कैबिनेट में जाने से पहले शासन ने ग्वालियर कलेक्टर भरत यादव का तबादला कर सिंगरौली कलेक्टर रहे अनुराग चौधरी को ग्वालियर कलेक्टर बनाया गया। इसके बाद चौधरी ने जिले की कमान संभालते ही प्रस्ताव में संशोधन करके शासन को भेजा। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ही कमलनाथ कैबिनेट ने सिंधिया स्कूल को 413 करोड़ की सरकारी जमीन मुफ्त में देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। मंत्रालयीन सूत्रों ने बताया कि जमीन से जुड़ा यह प्रस्ताव बेहद गुपचुप ढंग से कैबिनेट में पेश किया था।
पहले से संचालित है स्कूल
ग्वालियर में जिस जमीन को सरकार ने सिंधिया स्कूल के लिए दिया है, उस जमीन पर सालोंं से सिंधिया स्कूल संचालित हो रहा है। जमीन स्कूल के ही कब्जे में है। सरकार ने जमीन मुफ्त देने का यह भी एक आधार बनाया था। विधानसभा में भाजपा विधायक विजय शाह ने इस बात को लेकर भी आपत्ति ली कि सिंधिया स्कूल में किन लोगों के बच्चे पढ़ते हैं, यह सभी को पता है।
मंत्री ने किया बचाव
सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को जमीन आवंटित करने के मामले ने तुल पकड़ा, तो कमलनाथ सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सिंधिया के बचाव में आ गए| उन्होंने मामले में गोलमोल जबाव दिया| उन्होंने कहा कि जो आरोप लगा रहे हैं, वे पहले अपने गिरेबान में झांक कर देख लें, ये इश्यू नहीं है. कोई नया आवंटन नहीं किया गया| ये जमीन सिंधिया स्टेट की ही है| तोमर ने आरएसएस के विद्यालयों पर भी सवाल उठाए, उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सरकार अच्छे स्कूलों को जमीन देगी और आगे भी देगी| सिंधिया स्कूल ग्वालियर में तब से स्थापित है जब मेरा जन्म भी नहीं हुआ था। भाजपा वाले सिर्फ हंगामा खड़ा कर रहे हैं।