भोपाल।
मध्यप्रदेश के गुना जिले में बीते दिनों सैकड़ों चमगादड़ो की हुई मौत से निपाह वायरस के फैलने का खतरा पैदा हो गया है। इसको लेकर गुना एवं ग्वालियर जिले में चिकित्सा अधिकारी ने एडवाइजरी जारी की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दो-तीन दिन पहले गुना जिले में बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत हो गई थी। जिसके बाद से ही स्वास्थ्य विभाग लगातार सतर्क है। आपको बता दें कि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा एतिहासिक इमारतें है जहां हजारों की तदाद में चमगादड़ है। उन्ही इमारतों में सरकारी ऑफिस संचालित होते है। ऐसे में स्वास्थ आधिकारी ने चमगादड़ को लेकर अलर्ट भी जारी किया है।
गुना के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पी. बुनकर ने आज पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि निपाह वायरस को लेकर सभी से सतर्कता बरतने को कहा गया है। पिछले दिनों यहां मरे चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया है, उसकी रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा।
जांच के लिए भेजे सैंपल
गुना में चमगादड़ों की मौत से आसपास के इलाके में दहशत का माहौल है। एनएफएल प्रबंधन ने इस बात का दावा किया है कि करीब 250 चमगादड़ों की मौत हुई है। निपाह वायरल की जांच के लिए सैंपल भी ले लिए हैं। पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने शुक्रवार को एनएफल पहुंचकर यहां मुआयना किया है। निपाह वायरस की जांच के लिए सैंपल जांच के लिए भेज दिए है। बहरहाल अब तक क्षेत्र में अब तक निपाह वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति सामने नहीं आया है।
क्या है निपाह वायरस?
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो यह चमगादड़ों के लार से फैलता है। निपाह वायरस से ग्रस्त लोगों से स्वस्थ व्यक्ति को दूर रहना चाहिए। यह बीमार व्यक्ति के लार से भी फैल सकता है। यह बहुत आसानी से जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। बता दें कि यह बहुत तेज़ी से फैलने वाला वायरस है जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है।
उपलब्ध नहीं है कोई पुख्ता इलाज
आपको बता दें कि इस वायरस से पहले भी कई बार लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन इस बात कोई पुख्ता इलाज अभी तक शोधार्थियों को नहीं मिल सका है। 2001 में भारत में पहली बार इस वायरस की खबर मिली थी। उस समय 45 लोगों की मौत हुई थी।