भोपाल| मंदी के दौर से गुजर रहे रियल एस्टेट सेक्टर को उबारने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है| प्रदेश में प्रॉपर्टी की कलेक्टर गाइडलाइन (बाजार दर) 20 फीसदी घटा दी है। इससे प्रदेश भर में संपत्तियों के दाम कम होंगे| जिससे जहां लोगों को फायदा होगा वहीं प्रॉपर्टी बिकेंगी तो रियल एस्टेट सेक्टर में बूम आएगा और सरकार खजाने में राजस्व पहुंचेगा| बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने यह बड़ा फैसला किया है, इसके अलावा सरकार ने रजिस्ट्री पर शुल्क 2.2 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
सरकार ने कलेक्टर गाइड लाइन को 20 प्रतिशत घटाने का फैसला किया है। वहीं रजिस्ट्री पर शुल्क 2.2 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। हालाँकि इस बढ़ोतरी का आम जनता पर उतना असर नहीं पड़ेगा| इसके पीछे यह कारण है कि कलेक्टर गाइडलाइन कम होने से प्रॉपर्टी के दाम कम होंगे और उस पर ही रजिस्ट्री होगी। इसके अलावा सरकार ने बेटी या पत्नी को संपति में अधिकार देने पर भी राहत दी है| अब पत्नी या पुत्री को संपत्ति में स��-स्वामी बनाने पर 1.8 प्रतिशत की जगह अब सिर्फ 1100 रुपए की स्टांप ड्यूटी और पंजीयन फीस लगेगी। सरकार ने बंटवारे के मामलों में स्टांप शुल्क को 2.5 प्रतिशत से घटाकर आधा प्रतिशत (0.50) कर दिया है। इसी तरह परिवार के बीच संपत्ति के दान पर अब 500 रुपए स्टांप शुल्क और मात्र 100 रुपए पंजीयन फीस लगेगी।
तमिलनाडू की तरह पर मध्य प्रदेश में यह फैसला लागू किया गया है, जिससे लोगों को राहत के साथ राजस्व में बढ़ोतरी हो सके| यह बढ़ोतरी कितनी होगी, यह तय नहीं है और न ही आकलन हुआ है। कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई है| बजट सत्र से पहले सरकार इसी माह नए प्रावधान को अधिसूचना जारी करेगी| कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा, वित्त मंत्री तरुण भनोत और वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सरकार ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए पूरे प्रदेश में कलेक्टर गाइड लाइन को बीस प्रतिशत कम करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे मंशा यह है कि दस्तावेजों का पंजीयन अधिक से अधिक हो। रीयल एस्टेट सेक्टर जो लगभग बैठ गया था, उसमें तेजी आए। भनोट ने कहा कि कैबिनेट का ये फैसला प्रदेश के सभी 52 जिलों में लागू होगा। नए फैसले के बाद जमीन या प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त पर कम स्टांप ड्यूटी और कम रजिस्ट्री फीस चुकानी होगी। कलेक्टर गाइडलाइन के व्यवहारिक पहलू देखते हुए रेट में कटौती की गई है। इससे बड़ी कीमतों के चलते इनकम टैक्स के झंझट से भी लोग बच सकेंगे।