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Fri, Dec 12, 2025

आगर मालवा: डिजिटल हाजिरी बनी मुसीबत, नेटवर्क के लिए पेड़ पर चढ़ने को मजबूर शिक्षक

Written by:Banshika Sharma
मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में शिक्षक सरकार के ई-अटेंडेंस ऐप से परेशान हैं। बड़ौद विकासखंड के कई गांवों में नेटवर्क न होने के कारण उन्हें हाजिरी लगाने के लिए पेड़ों पर चढ़ना पड़ रहा है, जिससे पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।

आगर मालवा: मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए डिजिटल इंडिया की एक पहल बड़ी मुसीबत बन गई है। शासन द्वारा अनिवार्य किए गए ई-अटेंडेंस ऐप पर हाजिरी दर्ज करने के लिए शिक्षकों को रोजाना जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। जिले के बड़ौद विकासखंड के कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण शिक्षक पेड़ों पर चढ़कर या ऊंचे टीलों पर जाकर उपस्थिति दर्ज कराने को मजबूर हैं।

यह समस्या खासकर बड़ौद क्षेत्र के पिपल्या हमीर और सुदवास जैसे गांवों में गंभीर है, जहां स्कूल ऐसी जगहों पर स्थित हैं जहां किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं आता। शिक्षकों का कहना है कि वे समय पर स्कूल तो पहुंच जाते हैं, लेकिन उनकी सुबह की शुरुआत बच्चों को पढ़ाने के बजाय मोबाइल में नेटवर्क ढूंढने की जद्दोजहद से होती है।

जान जोखिम में डालकर उपस्थिति

शिक्षकों के अनुसार, नेटवर्क की तलाश में उनका काफी समय बर्बाद हो जाता है। कई बार उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है, तब जाकर कहीं सिग्नल मिलता है। इसके बावजूद ऐप में तकनीकी समस्याएं आती हैं। कभी सिस्टम काम नहीं करता तो कभी ऐप स्कूल की लोकेशन को 400 से 600 मीटर दूर बताता है, जिससे उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती।

“स्कूल पहुंचने के बाद भी मोबाइल में लोकेशन गलत दिखाता है। नेटवर्क न मिलने से बार-बार कोशिश करनी पड़ती है। कई बार तो हाजिरी लग ही नहीं पाती और हमें विभागीय पोर्टल पर अनुपस्थित बता दिया जाता है।” — परेशान शिक्षक

छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा असर

शिक्षकों का कीमती समय नेटवर्क ढूंढने में बर्बाद होने का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। जब शिक्षक घंटों तक स्कूल परिसर में नेटवर्क के लिए भटकते हैं, तो कक्षाएं प्रभावित होती हैं। इस स्थिति ने शिक्षकों और छात्रों, दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी इस समस्या की पुष्टि की है। उनका कहना है कि इस इलाके में मोबाइल नेटवर्क की हालत बेहद खराब है, जहां सामान्य फोन कॉल करना भी मुश्किल है, ऐसे में इंटरनेट चलाना तो दूर की बात है। ग्रामीणों और शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल परिसरों के पास मोबाइल टॉवर या सिग्नल बूस्टर लगाए जाएं, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके।

शिक्षकों का मानना है कि सरकार के डिजिटल प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनी हकीकत को समझे बिना ऐसी योजनाएं लागू करना केवल परेशानियां बढ़ा रहा है। बुनियादी ढांचा सुधारे बिना इन योजनाओं की सफलता संभव नहीं है।

गौरव सरवरिया की आगर मालवा से रिपोर्ट