ज़रा सोचिए… कोई व्यक्ति मंदिर में माथा टेकने के बजाय अपना मोबाइल फोन भगवान की मूर्ति से टच करे तो कैसा लगेगा? सुनने में अजीब, पर आजकल यही ट्रेंड (Trend) देश के कई मंदिरों में देखने को मिल रहा है। श्रद्धालु मंदिरों में प्रवेश करते ही अपनी जेब से फोन निकालते हैं, और फिर उसे मूर्ति या दान पेटी से हल्का टच करते हैं, जैसे कोई डिजिटल आशीर्वाद ले रहे हों।
कुछ लोग इसे डिजिटल युग में आस्था का नया रूप कह रहे हैं, तो कुछ इसे अंधविश्वास और दिखावे की परंपरा बता रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा चलन चीन जैसे देशों में बेहद आम हो चुका है। वहां लोग मंदिरों में अपने मोबाइल को मूर्ति या दान पेटी से टच कर ऑनलाइन ब्लेसिंग लेने लगे हैं।
मोबाइल से दान, मोबाइल से आशीर्वाद
कोविड महामारी के बाद से ही हमारी ज़िंदगी में मोबाइल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ा। आज सब्जी वाला हो या सड़क किनारे चाय वाला हर जगह क्यूआर कोड दिखाई देता है। मंदिर भी इस बदलाव से अछूते नहीं रहे। अब ज्यादातर मंदिरों में दान पेटियों के पास क्यूआर कोड स्कैनर लगे होते हैं। लोग नकद देने की बजाय सीधे मोबाइल से दान ट्रांसफर करते हैं। इसी वजह से धीरे-धीरे एक अजीब ट्रेंड शुरू हुआ लोग दान करने के बाद अपने मोबाइल को भगवान की मूर्ति से छूने लगे। कई श्रद्धालुओं का मानना है कि ऐसा करने से मोबाइल पवित्र हो जाता है और भगवान का आशीर्वाद उस डिवाइस में समा जाता है। कुछ तो यह भी मानते हैं कि इस तरह उनके मोबाइल में नेगेटिव एनर्जी खत्म होती है और शुभ ऊर्जा का वास होता है।
सोशल मीडिया से लेकर मंदिर तक
यह ट्रेंड केवल भारत तक सीमित नहीं है। चीन में भी मंदिरों में QR कोड दान सिस्टम आम हो गया है। वहां भक्त वीचैट पे या अलीपे से ऑनलाइन डोनेशन करते हैं। भारत में भी यही तकनीक तेजी से फैल रही है, खासकर शहरी मंदिरों में। कई जगह तो पुजारी खुद QR कोड दिखाते हैं और कहते हैं, मोबाइल से भगवान का दान दे दीजिए। अब श्रद्धालु न सिर्फ मोबाइल से दान दे रहे हैं, बल्कि भगवान को मोबाइल दिखाने की परंपरा शुरू कर चुके हैं। कुछ इसे मज़ाक में कहते हैं, भगवान भी अब डिजिटल युग में प्रवेश कर चुके हैं।
मोबाइल से टच करने पर भगवान का आशीर्वाद अपने साथ लेकर जाते हैं
कई भक्तों से बातचीत में यह दिलचस्प बातें सामने आईं हम रोज़ मंदिर जाते हैं, लेकिन अब मोबाइल भी साथ रखते हैं। जब मोबाइल भगवान की मूर्ति से टच करते हैं, तो लगता है जैसे पूरा फोन शुभता से भर गया हो। मोबाइल आज हर समय हमारे साथ रहता है। अगर इसमें भगवान की आशीष रहे, तो दिन अच्छा गुजरता है। लोगों का मानना है कि जैसे पुराने समय में ताबीज़ या रक्षा सूत्र को शुभ माना जाता था, वैसे ही आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन उसी भूमिका में आ गया है।





