श्मशान पर दबंगों का कब्जा, प्रशासन ने मुक्त कराया तब हो पाया आदिवासी का अंतिम संस्कार

अशोकनगर | जिला मुख्यालय से सटे  आदिवासी बाहुल्य टकनेरी गांव  में एक आदिवासी को मौत के बाद कई घण्टे अंतिम संस्कार के  लिये इसलिये इंतजार करना पड़ा क्योंकि श्मसान पर दबंगो ने कब्जा करके फसल वो रखी थी।मामला तूल पकड़ा तो आनन फानन में तहसीलदार एवं अन्य अधिकारियों  ने श्मशान को  कब्जे से मुक्त कराया तब जा कर 5 घण्टे के इंतजार के बाद नन्नूलाल आदिवासी का अंतिम संस्कार हो पाया। 

     लापरवाही एवं अव्यवस्थाओ के चलते जीते जी तो  लोगो को परेशान होते देखा ही होगा मगर अशोकनगर के टकनेरी गांव में मरने के बाद सुकून से जलने के लिये भी शव को भी घण्टो इंतजार करना पड़ा है। मानवीय संवेदनाओं को चोटिल करने के इस मामले में टकनेरी पंचायत की लापरवाही सामने आई है।  जहां  बुधवार रात आदिवासी समुदाय से जुड़े  नन्नूलाल आदिवासी का निधन हो गया,नन्नू लाल के निधन के बाद उनके परिजन और अन्य ग्रामीणों ने जब गुरुबार को उसके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की, तो उन्हें उबड़ खाबड़ रास्ते से अंतिम यात्रा निकालनी पड़ी। इतना ही नहीं, ग्रामीण करीब दो किलोमीटर चलकर नन्नू लाल का अंतिम संस्कार करने पहुँचे, तो जो जगह ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए शासन द्वारा दी गई थी ,उस जगह पर किसी गांव के एक दबंग  ने फसल की बुवाई कर दी ।साथ ही  सरपंच ओर सचिव की  मिलीभगत से एक नाले के पास ग्रामीणों के लिए श्मशान घाट का निर्माण कराया जा रहा था।  ग्रामीणों ने जो जगह उन्हें दी गई थी उसी जगह पर अंतिम संस्कार करने की बात कहीं, मामला तूल पकड़ते देख आनन-फानन में प्रशासन की पूरी मशीनरी घटनास्थल पर पहुंची। कलेक्टर मंजू शर्मा के आदेश से तहसीलदार इसरार खान ने तुरंत जमीन की नापती कराकर ग्रामीणों को उक्त जगह सौंपी  तब जाकर मृतक का अंतिम संस्कार करीब 5 घण्टे बाद संपन्न हो पाया।


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