Samsaptak Rajyog 2025: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हर एक ग्रह एक निश्चित समय अंतराल के बाद राशि परिवर्तन करता है, इस दौरान 2 ग्रहों के एक राशि में साथ आने या आमने सामने आने पर युति राजयोग का निर्माण होता है। ज्योतिष में शुक्र को दैत्यों का गुरू और बृहस्पति को देवताओं का गुरू माना जाता है। शुक्र हर माह चाल बदलते है लेकिन गुरू को एक से दूसरी राशि में जाने में 13 महीने का समय लगता है । शुक्र वृषभ व तुला राशि के स्वामी है। वे कन्या राशि में नीच और मीन में उच्च का माने जाते है। वे प्रेम, सौंदर्य और सुख के कारक होते है। गुरु कर्क राशि में उच्च और मकर राशि में नीच के होते है। गुरु ग्रह (बृहस्पति) धनु और मीन राशि के स्वामी है। वे ज्ञान, धर्म, और भाग्य के कारक माने जाते हैं।वर्तमान में शुक्र वृश्चिक और गुरू मिथुन राशि में विराजमान है । 20 दिसंबर को शुक्र धनु में प्रवेश करेंगे और 13 जनवरी तक यहीं रहेंगे।शुक्र के गुरू की राशि में आते ही एक विशेष समसप्तक योग का निर्माण होगा जो 3 राशियों के लिए बेहद शुभ और फलदायी साबित हो सकता है….
समसप्तक राजयोग का राशियों पर प्रभाव
मकर राशि पर प्रभाव: दो ग्रहों की युति और समसप्तक राजयोग जातकों के लिए वरदान के कम साबित नही होगा। भाग्य का पूरा साथ मिलेगा।आत्मविश्वास, साहस और पराक्रम में वृद्धि हो सकती है।कारोबार में तरक्की हासिल कर सकते है। नौकरीपेशा को प्रमोशन के साथ नई नौकरी के अवसर मिल सकते हैं।व्यापारियों को अच्छा धनलाभ हो सकता है। कोई नया काम शुरू करने का प्लान है तो समय उत्तम रहेगा ।
कर्क राशि पर प्रभाव: गुरू शुक्र की युति और समसप्तक राजयोग जातकों के लिए लकी साबित हो सकता है। कारोबारियों के लिए समय उत्तम रहेगा। व्यापार का विस्तार हो सकता है। हर क्षेत्र में अपार सफलता हासिल हो सकती है। आकस्मिक धनलाभ की प्राप्ति हो सकती है।आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। करियर में नए अवसर मिल सकते है।
धनु राशि पर प्रभाव: गुरू शुक्र युति और समसप्तक राजयोग जातकों के लिए बेहद शुभ साबित हो सकता है। परिवार के साथ भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। जमीन-जायदाद या पैतृक संपत्ति से जुड़े किसी मामले में सफलता प्राप्त कर सकते है।मान- सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो सकती है। व्यापार के संबंध से यात्रा कर सकते हैं।
कुंडली में कब बनता है समसप्तक राजयोग
ज्योतिष के अनुसार, जब दो ग्रह आमने-सामने आते हैं या जब भी कोई दो ग्रह एक दूसरे से सातवें स्थान पर होते हैं, तब उन ग्रहों के बीच समसप्तक राजयोग बन जाता है। वैसे तो समसप्तक एक शुभ योग होता है लेकिन इसका फल इस बात पर निर्भर करता है कि यह किन ग्रहों की युतियों, किन लग्न और किन-किन ग्रह योगों से बन रहा है।ग्रहों की स्थिति सकारात्मक होने पर यह अत्यधिक शुभ हो सकता है और जातकों को धन, सफलता और प्रसिद्धि प्रदान करता है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)





