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त्रिकोणीय संघर्ष में उलझी भिंड सीट, कोई रुझान नहीं

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भिंड| लाजपत राय अग्रवाल | चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद भी अभी तक भिंड विधानसभा सीट पर कोई रुझान सामने नहीं है | चुनाव के जानकार भी इस बात को लेकर हैरान हैं ऐसा पहली बार देख रहा है जब कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं है|  क्योंकि यहां चुनाव लड़ रहे चार प्रमुख उम्मीदवारों में तीन के बीच जबरदस्त घमासान मचा हुआ है यह स्थिति तब है जब कांग्रेस प्रत्याशी मुख्य मुकाबले में आने के लिए कसबल लगा रहा है।

करीब ढाई लाख मतदाताओं वाले भिंड विधानसभा सीट पर वर्ष 1951 से लेकर अब तक इस तरह का उलझाव कभी देखने को नहीं मिला। यहां से भाजपा ने वर्ष 2013 में कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है भा जा पा से विधायक रहे नरेंद्र सिंह कुशवाह साइकिल पर सवार होकर बगावत कर बैठे। बसपा ने भी भाजपा से चार बार सांसद रहे डॉ राम लखन सिंह कुशवाहा के पुत्र संजीव सिंह कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारा है वे वर्ष 2013 में भी बसपा से चुनाव लड़ चुके कांग्रेसमें अपने जिला अध्यक्ष डॉक्टर रमेश दुबे को टिकट देकर किस्मत आजमाने का मौका दिया है। इन चार प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्य लड़ाई संजीव सिंह नरेंद्र सिंह और चौधरी राकेश सिंह के बीच है। चुनाव प्रचार समाप्त होने की संध्या पर भाजपा सपा बसपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में सपाक्स के उम्मीदवार डॉ मनोज जैन ने भी घर घर जाकर वोट मांगे हैं।

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