MP Breaking News
Sat, Dec 13, 2025

आखिर चार साल तक क्यों नहीं हुई कार्रवाई: फर्जी दस्तावेज़ों से IAS प्रमोशन पाने वाले संतोष वर्मा पर क्यों रही सरकार की मेहरबानी

Written by:Shruty Kushwaha
संतोष वर्मा के खिलाफ फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर आईएएस प्रमोशन हासिल करने के गंभीर आरोप सामने आने के बावजूद करीब साढ़े चार साल तक कोई निर्णायक कार्रवाई न होने को लेकर अब कई प्रश्न उठ रहे हैं। सवाल ये कि विभागीय जांच और पहले से पुलिस प्रकरण लंबित रहने के बावजूद उनकी पदोन्नति को निरस्त करने या सेवा से पृथक करने जैसा कठोर कदम नहीं उठाया गया।

आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ राज्य सरकार ने फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर आईएएस कैडर में पदोन्नति पाने के आरोप में केंद्र सरकार को बर्खास्तगी प्रस्ताव भेजा है। पिछले दिनों ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर दिए गए उनके विवादास्पद बयान के बाद से वो लगातार आरोपों से घिरे हुए हैं। इस घटना के बाद अब प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ बड़ा कदम उठाया है।

मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी संतोष कुमार वर्मा (बैच 2012) को लेकर एक आदेश जारी करते हुए केंद्र सरकार से उन्हें IAS सेवा से पृथक करने तथा IAS अवार्ड वापस लेने की औपचारिक सिफारिश की है।

संतोष वर्मा के खिलाफ मोहन सरकार की बड़ी कार्रवाई

प्रदेश सरकार ने आईएएस अधिकारी संतोष कुमार वर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें कृषि विभाग के उप-सचिव पद से हटा दिया है और जीएडी पूल में दिया है। साथ ही, फर्जी एवं जाली दस्तावेजों के आधार पर IAS पदोन्नति को अमान्य मानते हुए केंद्र सरकार को उनकी भारतीय प्रशासनिक सेवा से बर्खास्तगी की सिफारिश भी भेज दी गई है। इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किया है।

आदेश में स्पष्ट किया गया है कि संतोष वर्मा की राज्य प्रशासनिक सेवा (RAS) से IAS में पदोन्नति एक ऐसे कथित न्यायालयीन आदेश (06.10.2020) के आधार पर की गई, जो बाद में फर्जी पाया गया। विभागीय जांच में पाया गया कि वर्मा ने राज्य प्रशासनिक सेवा आईएएस में पदोन्नति के लिए जाली प्रमोशन आदेश एवं फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया। विशेष रूप से, इंटीग्रिटी सर्टिफिकेट (निष्ठा प्रमाण-पत्र) प्राप्त करने में धोखाधड़ी की गई, जो यूपीएससी और राज्य सरकार की प्रमोशन प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा है। उनके खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें फर्जी अदालती आदेश तैयार करने के आरोप शामिल हैं।

चार साल तक क्यों रही खामोशी 

मामले में सवाल ये उठता है कि आखिर चार साल तक संतोष वर्मा पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जबकि उनके खिलाफ लगातार शिकायतें की गई, जांच की मांग हुई लेकिन तत्कालीन शिवराज सरकार ने इस मामले पर कोई कारगर कदम नहीं उठाया। सवाल ये भी कि तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैस और सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन अधिकारी क्यों इस मामले पर आंखें मूंदे रहे। अब भी ये मामला तब दुबारा चर्चाओं में आया जब संतोष वर्मा ने ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर अनर्गल टिप्पणी की। इसके बाद उठे विवाद के दौरान फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आईएएस पदोन्नति पाने का मामला भी फिर सुर्खियां बना और सीएम मोहन यादव ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।