भोपाल के पूर्वी बायपास पर सूखी सेवनिया रेलवे ओवरब्रिज के पास सड़क धंसने की घटना के बाद बनी जांच समिति द्वारा घटना को लेकर प्रारंभिक बिंदु सामने रखे गए हैं। 13 अक्टूबर को हुई इस घटना में करीब 75 मीटर लंबा हिस्सा नीचे धंस गया था, हालांकि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। घटना के बाद मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) ने तत्काल इलाके को बैरिकेड लगाकर बंद किया और यातायात को दूसरी लेन से सुचारू कराया था।
प्रारंभिक जांच में निर्माण में गंभीर खामियां उजागर
तकनीकी अधिकारियों के शुरुआती निरीक्षण में साफ हुआ कि सड़क किनारे बनी आर.ई. वॉल (रीइंफोर्स्ड अर्थ वॉल) मानकों के अनुरूप नहीं थी, और इसकी क्वालिटी कमज़ोर थी। मिट्टी की गुणवत्ता कमजोर पाई गई और आवश्यक स्टोन पिचिंग का कार्य अधूरा छोड़ा गया था। बारिश के दौरान पानी दीवार के पीछे रिसता रहा, जिससे नीचे की मिट्टी ढीली पड़ गई। इसके अलावा, पास के खेतों में की गई किसानों द्वारा खुदाई ने जल के बहाव को बाधित कर दिया, जिससे मिट्टी और कमजोर हो गई।
स्थानीय लोगों में नाराज़गी, ठेकेदारों पर कार्रवाई की मांग
घटना के बाद स्थानीय निवासियों ने कहा कि सड़क पर दरारें पहले से दिख रही थीं, लेकिन समय पर मरम्मत नहीं की गई। लोगों ने सड़क निर्माण में उपयोग की गई सामग्री और निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। अब प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि ठेकेदार कंपनी और कंसल्टेंट इंजीनियरों से जवाब-तलब किया जाएगा, और अगर लापरवाही साबित होती है, तो कार्रवाई तय है।
MPRDC ने जांच रिपोर्ट को लेकर क्या कहा
एमपीआरडीसी ने बताया कि बायपास मार्ग की निगरानी नियमित रूप से की जाती है, और धंसे हुए हिस्से की मरम्मत का कार्य 10 दिन में पूरा कर लिया जाएगा। बता दें वर्ष 2023 में रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत बड़े पुलों और सड़कों का सर्वे भी किया गया था। अब निगम जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
B.O.T योजना के तहत बना था मार्ग
यह सड़क बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) योजना के तहत मेसर्स ट्रांसट्रॉय प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा बनाई गई थी। अनुबंध 18 नवंबर 2010 को हुआ था और निर्माण कार्य 2012-13 में पूरा हुआ था। हालांकि, 2020 में अनुबंध की शर्तों का पालन न करने पर कंपनी का अनुबंध निरस्त कर दिया गया था।
अब सबकी नजर जांच रिपोर्ट पर
अब सबकी निगाहें एमपीआरडीसी की जांच समिति की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो आने वाले दिनों में निगम को सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट से साफ होगा कि सड़क धंसने के पीछे लापरवाही किस स्तर पर हुई — ठेकेदार, कंसल्टेंट या विभागीय अधिकारी, और कौन इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।





