मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र की स्थिति को लेकर कांग्रेस ने सवाल किए हैं। उमंग सिंघार ने केंद्र सरकार के आधिकारिक आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि प्रदेश में उद्योग और रोजगार को लेकर सरकार के दावों और वास्तविक स्थिति में भारी अंतर है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्यसभा में MSME मंत्रालय द्वारा दिए गए लिखित उत्तर के अनुसार वर्ष 2020 से नवंबर 2025 तक मध्य प्रदेश में कुल 5096 MSME इकाइयां बंद हुईं, जिनके कारण हजारों लोगों की नौकरियां चली गई। उन्होंने कहा कि एक तरफ बीजेपी सरकार करोड़ों रुपए के विज्ञापन और भव्य कार्यक्रमों के जरिए मध्यप्रदेश में हजारों करोड़ों निवेश के दावे करती है, वहीं आंकड़े और तथ्य बताते है कि ये सब खोखले दावे हैं।
MSME की स्थिति पर उमंग सिंघार ने किए सवाल
उमंग सिंघार ने केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर प्रदेश की बीजेपी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए जवाब के मुताबिक, वर्ष 2020 से 2025 के बीच मध्यप्रदेश में कुल 5,096 एमएसएमई इकाइयाँ स्थायी रूप से बंद हो चुकी हैं, जिनके बंद होने से 36,017 लोगों की नौकरियाँ चली गईं। उन्होंने कहा कि उद्यम पोर्टल पर वर्ष 2023 और 2024 में मध्यप्रदेश में 13.75 लाख से अधिक MSME पंजीकृत थे, लेकिन वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह संख्या अचानक घटकर सिर्फ 5.26 लाख रह गई। यानी एक ही साल के भीतर 8.49 लाख से ज्यादा पंजीकृत MSME “गायब” हो गए।
एमपी सरकार पर लगाए आरोप
कांग्रेस नेता ने सवाल किया है कि जब सरकारी आँकड़ों के अनुसार सिर्फ 5,096 इकाइयों के बंद होने से 36,017 नौकरियाँ गईं है तो 8 लाख से ज्यादा पंजीकृत इकाइयों के गायब होने से कितने लाख परिवारों की रोजी-रोटी छिनी होगी। उन्होंने कहा है कि यह आँकड़ा अपने आप में भयावह है।” उमंग सिंघार ने तंज कसते हुए कहा कि एक तरफ मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर “इन्वेस्ट इन एमपी” “राइजिंग एमपी” और “निवेश का सुनहरा दौर” जैसे भव्य कार्यक्रम और विज्ञापन कर रही है, तो दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार के ही आँकड़े प्रदेश में औद्योगिक माहौल की कड़वी सच्चाई बयान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञापनों में चमक-दमक दिखाई जा रही है, लेकिन असल में छोटे-मध्यम उद्यमी पलायन कर रहे हैं, इकाइयाँ बंद हो रही हैं और युवा बेरोजगार हो रहे हैं। ये आँकड़े साबित करते हैं कि प्रदेश में निवेश के बड़े-बड़े दावे सिर्फ कागजी और दिखावटी हैं।





