जल संसद के मंथन से निकलेगी ‘राइट टू वाटर’ की राह

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 भोपाल। आधारभूत पंचतत्वों में से एक जल हमारे जीवन का आधार है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिये कवि रहीम ने कहा है- ‘‘रहिमन पानी राखिये बिना पानी सब सून। पानी गये न उबरै मोती मानुष चून।’’ यदि जल न होता तो सृष्टि का निर्माण सम्भव न होता| भारत के जल संरक्षण की एक समृद्ध परम्परा रही है और जीवन के बनाये रखने वाले कारक के रूप में हमारे वेद-शास्त्र जल की महिमा से भरे पड़े हैं। ऋग्वेद में जल को अमृत के समतुल्य बताते हुए कहा गया है- अप्सु अन्तः अमतं अप्सु भेषनं।

इसी बात को एक बार पुनः साकार करने के लिए देश भर के जल शास्त्री इन दिनों भोपाल में मौजूद है जहाँ मध्य प्रदेश सरकार के महत्वाकांशी प्रोजेक्ट राइट टू वाटर को लेकर मंथन जारी है| मंथन में समाजसेवी प्रख्यात वकील जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले समाजसेवी सरकार की ओर से पीएचई मंत्री इस मंथन से अमृत निकालने को लेकर चिंतन कर रहे है| इस मौके पर अपनी बात को रखते हुए जल पुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ राजेन्द्र सिंह ने अपनी बात कहते हुए कहा कि प्रदेश सरकार कानून बना रही है वो सराहनीय है लेकिन इसके पहले पब्लिक लिट्रीसि को बढ़ावा देना होगा ओर ठेकेदारी प्रथा को बंद करना होगा| वही तालाबो ओर जलाशयों के पास हो रहे अतिक्रमण को दूर करना होगा …साथ ही इंजीनियर्स को वेज्ञानिको को साथ लेकर काम करना होगा|


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