लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने प्रवक्ताओं पर टीवी डिबेट को लेकर लगाया हुआ बैन हटा लिया है। अब प्रवक्ता पहले की तरह टीवी डिबेट में जाकर हिस्सा ले सकेंगें और मीडिया से भी रुबरु हो सकेंगें।हर मुद्दे पर अपनी राय रख सकेंगें। प्रदेश से जुड़े सभी मुद्दों पर डिबेट में शामिल होंगें।कांग्रेस ने ये फैसला ऐसे समय पर लिया है जब कांग्रेस में नए अध्यक्ष को चुनने की कवायद तेज है साथ ही मोदी सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाई है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से कांग्रेस ने अपने प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट में जाने से रोक दिया था। पार्टी ने अपने प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट्स से दूर रहने की हिदायत दी गई थी। संसदीय चुनाव नतीजों के बाद 29 मई को पार्टी के प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट में न भेजने के फैसले की जानकारी कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक ट्वीट के जरिए दी थी।कांग्रेस के नेता ने उसी समय बताया था कि प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट में भेजने में पर रोक एक महीने के लिए और बढ़ाई जा सकती है।
देवाशीष जरारिया ने लिखा था पत्र
कांग्रेस के युवा नेता और भिंड लोकसभा सीट से कांग्रेस के हारे हुए प्रत्याशी देवाशीष जरारिया ने राहुल गांधी को पत्र लिखा था। जरारिया ने पत्र में मीडिया पर एक पक्षीय होने का आरोप लगाते हुए टीवी डिबेट में पार्टी प्रवक्ताओं को प्रतिबंधित करने का की बात कही थी। जरारिया का मानना था कि उन्होंने 5 सालों में 600 से ज्यादा नेशनल चैनल की डिबेट्स में हिस्सा लिया है, जिसमें देश के नेशनल मीडिया एकपक्षीय माहौल बनाते है। ऐसे में आने वाले समय को देखते हुए प्रवक्ताओं को टीवी से किनारा करना चाहिए। साथ ही उनके दायित्व को बदलना चाहिए। देवाशीष जरारिया में लिखा था कि 95% टीवी डिबेट्स सिर्फ भाजपा के प्रोपेगंडा पर आधारित हैं। आज कॉरपोरेट मीडिया पर विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे में कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों को टीवी डिवेट्स में नहीं भेजने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया जैसे माध्यमों को अपनाना चाहिए। उन्होंने प्रवक्ता पद के दायित्व को बदलकर कांग्रेस की विचारधारा को गांव गांव शहर शहर पहुंचाने के लिए कहा था। जिसके बाद पार्टी ने प्रवक्ताओं के टीवी डिबेट पर बैन लगाया दिया था।