सवालों के घेरे में ‘बेबी किट’ की खरीदी प्रक्रिया, सीएम तक पहुंचेगा मामला

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भोपाल| प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जन्म लेते ही नवजातों को तत्काल बेबी किट दी जाती है,  प्रदेश में सालाना 19 लाख बच्चे जन्म लेते हैं। प्रत्येक नवजात के लिए दो बेबी किट देने का प्रावधान है। सालभर में 37 लाख बेबी किट खरीदी जाती हैं, जो जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से बांटी जाती हैं। बेबी किट के लिए 130 रुपए प्रति कीट कीमत तय है। 37 लाख बेबी किट की खरीदी के लिए सालाना करीब 51 करोड़ रुपए बजट होता है। लेकिन इस बार खरीदी को लेकर विवाद की स्तिथि बन गई है| 

हथकरघा एवं हस्तशिल्प संचालनालय के जरिए बेबी किट की खरीदी करने का फैसला हुआ है| जबकि मध्य प्रदेश राज्य पावर बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर ही दो साल से स्वास्थ्य विभाग को बेबी किट प्रदाय करते आ रहा है । इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं| राज्य पावर बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर मध्य प्रदेश भंडार के तथा सेवा उपार्जन नियम के अंतर्गत मध्य प्रदेश शासन के समस्त विभागों में वस्त्र एवं वस्त्रसामग्री प्रदाय करने के लिए अधिकृत है|  इसके क्रयकर्ता अधिकारी को अलग से निवेदन बुलाने की आवश्यकता नहीं है| संघ द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्त्र सामग्री की दर उद्योग आयुक्त द्वारा अनुमोदित है जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग में संघ वस्त्र सामग्री प्रदाय करते आ रहा है।  संघ द्वारा विगत 2 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग को प्रदाय करते आ रहा है । बोर्न बेबी किट का कपड़ा हाथ करघा पर इसलिए नहीं बन सकता क्योंकि 20 से 30 मीटर तक का ही थान हथकरघा पर बनता है जबकि बेबी किट में उपयोग होने वाले कपड़े की रेसिंग जो निकाली जाती है (रैसे) वह 50 मीटर के थान से कम में निकलना संभव नहीं है ऐसी स्थिति में हथकरघा के वस्त्र पर रूये निकालना संभव नहीं है| सवाक है कि अगर स्वास्थ्य विभाग (NRHM )हथकरघा को  बेबी किट के प्रदाय आदेश देता है तो वहां कहीं ना कहीं नियम विरुद्ध एवं वित्तीय अनियमितता से ओतप्रोत हो सकता है।


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