शिवराज के धरने को शोभा ओझा ने बताया राजनीतिक नौटंकी

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्षा शोभा ओझा ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भोपाल में दिए जा रहे धरने को, दुष्कर्म जैसे संवेदनशील विषय पर की जा रही राजनीतिक नौटंकी बताया है। उन्होंने कहा है कि यदि शिवराज सिंह ऐसे मुद्दों पर थोड़े भी संवेदनशील होते तो उनके मुख्यमंत्री काल में 47000 से अधिक महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं नहीं हुई होतीं। बच्चियों और महिलाओं के साथ घटित होने वाले अपराधों में, प्रदेश लगातार देश में नंबर वन न बना रहता।

सोमवार को राजधानी भोपाल की मनुआभान टेकरी पर 12 वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में राजधानी भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर धरना दे रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर तीखा हमला करते हुए शोभा ओझा ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि पिछले लगभग डेढ़ दशक के कार्यकाल में, शिवराज सिंह ने बच्चियों और महिलाओं के साथ घटित हो रहे अपराधों के मामले में ऐसी तत्परता और संवेदनशीलता कभी नहीं दिखाई। वरना प्रदेश में न तो इतनी बड़ी संख्या में महिला अपराध घटित हुए होते और न ही प्रदेश के माथे पर महिला अपराधों के मामले में नंबर वन बनने का कलंक लगता। अपने बयान में ओझा ने आगे कहा कि बच्चियों और महिलाओं के साथ घटित हो रहे अपराधों को रोकने और अपराधियों को दंडित करने के प्रति कमलनाथ सरकार पूरी तरह संवेदनशील और प्रतिबद्ध है। इसके ठीक विपरीत पिछली शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान महिला आश्रय और संरक्षण गृहों में बच्चियों व महिलाओं के साथ किस तरह से मारपीट, यौन शोषण और दुष्कर्म की घटनाएं होती रहीं और उनमें से कई संस्थाओं को प्रदेश सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता भी दी जाती रही, यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। शोभा ओझा ने कहा कि यह भी घोर निंदनीय है कि पिछली सरकार केवल आर्थिक सहायता तक ही सीमित नहीं रही बल्कि जिन मामलों में दुष्कर्म और हत्या के आरोपी भाजपा से जुड़े हुए विधायक और नेता होते थे, उनको शिवराज सरकार का पूर्ण संरक्षण मिलता रहा। इंदौर में कुछ वर्षों पूर्व ट्विंकल डागरे की दुष्कर्म के बाद हुई नृशंस हत्या के आरोपी, जिस तरह सरकारी संरक्षण में स्वच्छंद घूमते रहे, वह इस बात का जीवंत और शर्मनाक उदाहरण है। शिवराज सरकार के पूरे कार्यकाल में, सरकारी संरक्षण के कारण ट्विंकल हत्याकांड के जो अपराधी पकड़े नहीं गए थे, उन्हें कमलनाथ सरकार आने के कुछ दिनों के भीतर ही सलाखों के भीतर पहुंचा दिया गया। यह कमलनाथ सरकार की संवेदनशीलता, प्रतिबद्धता और क्षमता का जीता जागता उदाहरण है। कमलनाथ सरकार इस बात के लिए भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध है कि अब किसी भी महिला आश्रय केंद्र पर किसी भी तरह के दमन, शोषण और गोरखधंधों को अंजाम नहीं देने दिया जाएगा। 


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