चंद कदम चली मप्र उर्दू अकादमी, उठने लगे विरोध के स्वर

भोपाल। मप्र उर्दू अकादमी का विवादों से दामन छूट नहीं पा रहा है। बिना ओहदेदारों के कई बरसों से घिसट रही अकादमी की कमान अफसरों के हाथों में है और इन अफसरों की मनमर्जियां यहां कई विवादों के हालात बना रही है। चंद माह पहले बदले यहां के निजाम के बाद अब नए सचिव को लेकर विरोध, एतराज और आपत्तियों का दौर शुरू हो गया है।

बुधवार शाम को उज्जैन में आयोजित एक सेमीनार और मुशायरे में साहित्य से जुड़े विद्वानों और शायरों की उपेक्षा किए जाने को लेकर विरोध के स्वर उठ रहे हैं। कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के संभागीय सचिव मकसूद अली का आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान सरकार से जुड़े कई वरिष्ठ लोगों के अलावा शहर के बड़े साहित्यकारों को हाशिये पर रखा गया है। साथ ही संस्कृति विभाग के बजट से होने वाले इस कार्यक्रम के आमंत्रण में प्रदेश के मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री के नाम भी शामिल नहीं किए गए हैं। अली इस मामले को लेकर आयोजन के दौरान मप्र उर्दू अकादमी सचिव डॉ. हिसामुद्दीन फारुखी का गांधीगिरी तरीके से विरोध करेंगे।


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