भोपाल। मध्य प्रदेश के रण में बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी के सामने जहां अपनी 2014 में मिली जीत को बरकरार रखने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस बीजेपी की सीटों में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी है। रविवार को छठे चरण के लिए प्रदेश की आठ सीटों पर मतदान होना है। उससे पहले कई तरह की रिपोर्ट सामने आ ही है। मीडिया रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी लिए राह आसान नहीं है। प्रदेश में मोदी फैक्टर अभी भी मौजूद है लेकिन वर्तमान सांसदों से जनता में नाराजगी है। यही कारण रहा है कि पार्टी को 18 सांंसदों को बदलना पड़ा है।
दरअसल, चुनाव के पहले चरण के बाद लोकनीति और सीएमडीएस के प्री पोल सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में सिर्फ आठ फीसदी जनता बीजेपी सांसदों के कामकाज से खुश थी। यह आंकड़ा देश में सबसे कम रहा है। बीजेपी शासित राज्यों में भी इस तरह का आंकड़ा सामने नहीं आया। यही बड़ा कारण रहा कि बीजेपी को अपने उम्मीदवार बदलना पड़े। वहीं, कांग्रेस इस मुद्दे को जमकर भुनाने में कुछ हद तक कामयाब भी हुई है। केंद्र में मोदी सरकार के साथ संतुष्टि 26 प्रतिशत पर बेहतर है, लेकिन यह अभी भी कई अन्य राज्यों की तुलना में कम है। अधिक महत्वपूर्ण रूप से, यह राज्य में कांग्रेस सरकार के साथ संतुष्टि रेटिंग की तुलना में काफी कम है: 45 प्रतिशत। बेशक, यह आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि कांग्रेस मुश्किल से छह महीने तक सत्ता में रही है। लेकिन अगर कांग्रेस सरकार अभी भी लोगों के साथ कुछ सद्भावना रखती है, तो यह भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं है।