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Tue, Dec 9, 2025

Bihar elections 2025: ‘नई दोस्तियां…’ ओवैसी का ये इशारा किसके लिए? क्या सीमांचल में बदल जाएगा सियासी समीकरण!

Written by:Deepak Kumar
Bihar elections 2025: ‘नई दोस्तियां…’ ओवैसी का ये इशारा किसके लिए? क्या सीमांचल में बदल जाएगा सियासी समीकरण!

बिहार चुनाव 2025 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अपना दमखम दिखाने के लिए पूरी तैयारी में है। महागठबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद अब यह तय हो गया है कि एआईएमआईएम अकेले चुनाव में उतरेगी। इसका सीधा असर महागठबंधन पर पड़ेगा। पार्टी चीफ असदुद्दीन ओवैसी मंगलवार को किशनगंज पहुंचेगे और सोशल मीडिया पर अपने आगमन की जानकारी भी साझा कर चुके हैं। उनके तेवर साफ हैं कि वो महागठबंधन को जवाब देने और बिहार के मुसलिम बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। एआईएमआईएम के लिए यह चुनावी जंग बेहद महत्वपूर्ण है।


ओवैसी की पोस्ट और बिहार आगमन 

सोमवार को एक्स पर अपनी पोस्ट में ओवैसी ने लिखा कि वे किशनगंज 23 सितंबर को पहुंचेंगे और 27 सितंबर तक रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान कई साथियों से मुलाकात होगी और कई नई दोस्तियां भी होंगी। ओवैसी ने सीमांचल के लोगों को पिछली सरकारों द्वारा नजरअंदाज किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इसका समाधान एक आजाद सियासी आवाज है। उन्होंने बिहारवासियों से अपील की कि वे उनके सियासी कारवां से जुड़ें। इस पोस्ट से साफ है कि ओवैसी बिहार में पिछले बार की तरह इस बार भी मुसलिम बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।


एआईएमआईएम की रणनीति और पिछली जीत 

ओवैसी छह दिनों तक बिहार में रहकर अपने पार्टी नेताओं के साथ रणनीति तैयार करेंगे। पिछली बार एआईएमआईएम ने बिहार में 5 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था। हालांकि इस जीत से महागठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी आरजेडी ने उन्हें महागठबंधन में शामिल होने से इंकार कर दिया है। आरजेडी को पता है कि एआईएमआईएम मजबूत होने पर उनके मुसलिम वोटरों का समर्थन छिटक सकता है। ओवैसी इस चुनौती को अवसर में बदलना चाहते हैं और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं।


महागठबंधन में शामिल होने की कोशिशें और आगे की राह 

एआईएमआईएम महागठबंधन में शामिल होने को बेचाब रही। अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने लालू प्रसाद यादव से अपील की और पत्र भी लिखा। इसके बाद वे ढोल नगाड़े और समर्थकों के साथ दरभंगा पहुंचे, लेकिन आरजेडी ने किसी भी स्तर पर सहयोग नहीं किया। अब एआईएमआईएम बिहार में अकेले चुनाव लड़ने जा रही है और इसके प्रभाव को लेकर सियासी हलकों में चर्चा तेज है। देखना यह होगा कि ओवैसी की रणनीति और उनकी पार्टी की सक्रियता बिहार चुनाव पर कितना प्रभाव डालती है और महागठबंधन की स्थिति पर किस हद तक असर पड़ता है।