बिहार का विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) दिलचस्प होने वाला है। चुनाव में सीधा मुकाबला NDA और महागठबंधन के बीच है लेकिन जनसुराज पार्टी इस बार सेंध लगाने को तैयार है। प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि उनकी पार्टी जनसुराज की कम से कम 25 सीटें जरूर जाएंगी। हालांकि पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। अब पहले चरण के तहत राज्य के 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में कुल 1,314 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। पहले चरण के लिए वोटिंग 6 नवंबर को होगी।
बता दें कि पहले चरण में कुल 1,690 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था, जिनमें से 1,375 नामांकन वैध पाए गए। 61 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस लिए, जिसके बाद कुल उम्मीदवारों की संख्या 1,314 रह गई। इस चरण में सबसे अधिक उम्मीदवारों की संख्या कुढ़नी और मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर रही, जहां 20-20 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। वहीं, सबसे कम 5-5 उम्मीदवार भोरे, अलौली और परबत्ता विधानसभा सीटों पर हैं।

इन दलों ने उतारे अपने उम्मीदवार
बिहार विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों को मिला दें तो कुल 74 पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। NDA में भाजपा (BJP), जदयू(JDU), लोजपा (LJP) (R) , हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) शामिल है। दूसरा गठबंधन है इंडिया गठबंधन या महागठबंधन जिसमें राजद (RJD), कांग्रेस, माले, CPI, CPI(M), IIP और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल है। वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज, AIMIM और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी चुनाव मैदान में उतर चुकी है।
सीएम फेस पर संशय बरकरार
बिहार चुनाव के बाद सीएम चेहरा सामने आएगा। हालांकि अभी एनडीए की ओर से अमित शाह के बयान ने संशय बढ़ा दिया है कि चुनाव के बाद सीएम कौन होगा ये तय होगा। लेकिन एनडीए के वरिष्ठ नेता पहले ही कह चुके हैं कि ये चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व लड़ा जा रहा है। अगर देखा जाए तो इस बार जेडीयू और बीजेपी का सीट शेयरिंग बराबर यानि 101 101 है। तो जिसके सबसे उम्मीदवार सबसे ज्यादा जीतेंगे शायद उसी दल का सीएम फेस हो सकता है। लेकिन ये तो सिर्फ राजनीतिक बातें हैं। एनडीए दलों की बैठक के बाद ही सीएम फेस पर मुहर लगेगी।
वहीं महागठबंधन की बात करें तो जब से बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों को ऐलान हुआ तब से महागठबंधन में शामिल दलों में खटपट चल रही है। आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर समन्वय नहीं बना। तो दूसरी ओर हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो ने बिहार चुनाव से किनारा ही कर लिया। झामुमो का आरोप है कि उनके साथ धोखा हुआ है। वहीं अब महागठबंधन में सीएम फेस की बात करें तो कांग्रेस न तेजस्वी को सीएम फेस बता रही है और न ही उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कह रही है।
विस चुनाव 2020 का चुनावी समीकरण
एनडीए और महागठबंधन दोनों की साख दांव पर लगी है। इस पहले फेज की 121 विधानसभा सीटों पर पिछली बार 2020 में हुए चुनाव के नतीजे देखें तो महागठबंधन और एनडीए में कांटे की टक्कर रही थी। महागठबंधन ने 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि एनडीए को 59 सीटें मिली थीं। एलजेपी अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे सिर्फ एक सीट मिली थी। हालांकि इस बार पूरा समीकरण बदला हुआ है। अब एलजेपी एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।
पहले चरण की जिन 121 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी आरजेडी थी और दूसरे नंबर पर बीजेपी थी। आरजेडी ने 42 सीटों पर जीत का परचम फहराया था, जबकि 32 सीटें बीजेपी ने जीती थीं। जेडीयू के 23 विधायक जीतकर आए थे और कांग्रेस के 8 विधायक थे। इसके अलावा माले के 7, वीआईपी के चार, सीपीआई और सीपीएम के दो-दो विधायक जीते थे। इसके अलावा एलजेपी एक सीट जीती थी। अब इस बार देखना होगा कि पहले चरण की 121 सीटों पर इस बार कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतती है। एनडीए और महागठबंधन दोनों में सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है।










