त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है और देशभर में लोग खरीदारी में व्यस्त हैं। वहीं, केंद्र सरकार ने 22 सितंबर से जीएसटी रिफॉर्म लागू कर लोगों को महंगाई से राहत दी है। केक, बिस्किट, भुजिया, पेस्ट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहनों सहित कई चीजों की कीमत कम हुई है। नवरात्र, दशहरा, दिवाली और छठ पूजा जैसे बड़े त्योहार आने वाले हैं। इस समय बिहार में भी विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है। ऐसे में जीएसटी रिफॉर्म का असर सिर्फ आम जनता पर ही नहीं बल्कि चुनावी रणनीति पर भी दिखेगा।
जीएसटी रिफॉर्म और रोजमर्रा की राहत
देशभर में लागू जीएसटी 2.0 सुधार के तहत पहले 12 प्रतिशत पर आने वाली कई रोजमर्रा की वस्तुओं पर अब सिर्फ पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा। इससे लोगों को सीधी राहत मिलेगी और महंगाई पर नियंत्रण होगा। होटल, रेस्टोरेंट, बेकरी, नमकीन, वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर इससे लाभान्वित होंगे। बिहार में भी त्योहारों के समय इस कटौती से लोगों की खरीद क्षमता बढ़ेगी। इससे मतदाता वर्ग के बीच सत्तापक्ष की छवि मजबूत होगी और एंटी-इनकंबेंसी की संभावना कम होगी।
चुनावी माहौल और बिहार चुनाव
दिवाली और छठ पूजा के समय बिहार में विधानसभा चुनाव की संभावना है। एनडीए नेताओं को उम्मीद है कि जीएसटी रिफॉर्म का फायदा उन्हें चुनाव में मिल सकता है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां छठ पूजा का व्यापक प्रभाव है, वहां मतदाता राहत महसूस करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चुनावी साल में हर वर्ग को खुश रखने का प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि का वितरण भी इसी समय बिहार में हो सकता है, जिससे ग्रामीण मतदाता वर्ग पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
बीजेपी की तैयारी और उम्मीदवार चयन
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से देशभर में महंगाई पर नियंत्रण हुआ है और व्यापारी वर्ग को भी राहत मिली है। बिहार चुनाव की तैयारी के तहत बीजेपी 24 और 25 सितंबर को पटना में बड़ी बैठक करेगी। प्रत्येक जिले के 15-20 प्रमुख नेता इसमें शामिल होंगे। बैठक में विधानसभा सीटों के उम्मीदवार चयन पर गहन चर्चा होगी और सूची तैयार की जाएगी, जिसे चुनाव समिति में अंतिम सुझाव के लिए भेजा जाएगा। इस तरह जीएसटी सुधार और चुनावी तैयारियों का मिश्रित असर बिहार के मतदाता वर्ग पर दिखाई देगा।





