चुनावी वर्ष में डोमिसाइल नीति को लेकर बिहार में माहौल गरमा गया है। शुक्रवार (01 अगस्त 2025) को बिहार स्टूडेंट यूनियन की अगुवाई में बड़ी संख्या में छात्र पटना की सड़कों पर उतरे। उन्होंने पटना कॉलेज से मार्च और धरना-प्रदर्शन की शुरुआत की। गांधी मैदान के पास जेपी गोलंबर पर पुलिस ने बैरिकेड लगाकर छात्रों को रोक दिया। छात्रों का कहना था कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर अपनी मांगें सीधे रखना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने आगे जाने की अनुमति नहीं दी।
छात्रों की मांग: नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता
प्रदर्शनकारी छात्रों की मुख्य मांग है कि बिहार में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में 100% डोमिसाइल आरक्षण लागू किया जाए। इसके अलावा,
माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती
पुलिस (दारोगा/सिपाही) भर्ती
बीपीएससी
और अन्य सरकारी नौकरियों में
कम से कम 90% सीटें बिहार के स्थानीय उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
‘पहला अधिकार बिहारी युवाओं का’
छात्रों का कहना है कि डोमिसाइल नीति लागू नहीं होने से दूसरे राज्यों के युवा बिहार आकर सरकारी नौकरियां हासिल कर रहे हैं। इससे स्थानीय युवाओं का हक मारा जा रहा है। उनका कहना है कि, “बिहार की सरकारी नौकरियों पर पहला अधिकार बिहारी युवाओं का है और सरकार को डोमिसाइल नीति लागू करना अपनी प्राथमिकता बनानी चाहिए।”
पूरे बिहार में आंदोलन की चेतावनी
छात्र नेताओं ने कहा कि देश के कई राज्यों में पहले से ही सरकारी नौकरियों में स्थानीय आरक्षण लागू है। लेकिन बिहार में यह नीति खत्म कर दी गई है, जिससे युवाओं को नौकरी पाने में कठिनाई हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि चुनावी वर्ष में भी उनकी मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन पूरे बिहार में फैलाया जाएगा। छात्रों ने नारे लगाए— “डोमिसाइल नहीं… तो वोट नहीं” और “वोट की चोट देंगे, सरकार को उखाड़ फेंकेंगे”।
पुलिस और छात्रों में धक्का-मुक्की
जेपी गोलंबर पर रोके जाने के बाद जब छात्र आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बल प्रयोग किया। इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच धक्का-मुक्की हुई। बाद में पुलिस ने छात्रों को खदेड़कर प्रदर्शन स्थल से हटाया।
क्या है डोमिसाइल नीति?
डोमिसाइल नीति का मतलब है कि किसी राज्य में सरकारी नौकरियों में उस राज्य के मूल निवासियों को प्राथमिकता देना। पहले बिहार में भी यह नीति लागू थी, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया गया। फिलहाल छात्रों की मांग है कि इसे दोबारा लागू किया जाए ताकि बिहार के युवाओं को रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता मिल सके।





