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Thu, Dec 18, 2025

पुनौरा धाम में ऐतिहासिक आयोजन की तैयारी, 21 तीर्थों से आई मिट्टी और 31 नदियों का जल शामिल

Written by:Deepak Kumar
Published:
पुनौरा धाम में ऐतिहासिक आयोजन की तैयारी, 21 तीर्थों से आई मिट्टी और 31 नदियों का जल शामिल

आठ अगस्त 2025 का दिन बिहार के सीतामढ़ी के साथ पूरे देश के लिए ऐतिहासिक बनने जा रहा है। इस दिन माता जानकी के भव्य मंदिर का भूमि पूजन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कई केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, सांसद, विधायक और देशभर से साधु-संत मौजूद रहेंगे। जैसे अयोध्या राम जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है, वैसे ही सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मस्थली के रूप में देश-विदेश में नई पहचान मिलेगी।

882 करोड़ की लागत, तिरुपति के लड्डू, साधु-संतों का भव्य स्वागत

इस मंदिर निर्माण और अन्य विकास कार्यों पर कुल 882 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। शिलान्यास समारोह के अवसर पर विशेष प्रसाद के तौर पर तिरुपति बालाजी जैसे लड्डू तैयार करवाए जा रहे हैं, जिन्हें बनाने के लिए तिरुपति से खास कारीगर बुलाए गए हैं। पटना के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर द्वारा इन लड्डुओं का निर्माण करवाया जा रहा है। इसके अलावा 500 साधु-संतों के भोजन की विशेष व्यवस्था की गई है, जिसमें पूड़ी, सब्जी, खीर और उपवासियों के लिए साबूदाने की खीर व फल शामिल हैं।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, स्कूल-कोचिंग बंद रहेंगे

कार्यक्रम की विशालता को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। सीतामढ़ी के सरकारी और निजी स्कूल, कोचिंग संस्थान व आंगनबाड़ी केंद्र शुक्रवार को बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं। डीएम रिची पांडेय ने बताया कि यह फैसला संभावित भीड़ और सुरक्षा की दृष्टि से लिया गया है। कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर हर दिन केंद्रीय और राज्य मंत्री पुनौरा धाम का दौरा कर निरीक्षण कर रहे हैं।

31 नदियों का जल, 21 तीर्थों की मिट्टी से बनेगा पवित्र स्थल

मंदिर के भूमि पूजन को पावन बनाने के लिए देशभर की 31 पवित्र नदियों का जल और 21 तीर्थ स्थलों की मिट्टी सीतामढ़ी लाई गई है। इस जल और मिट्टी का उपयोग भूमि पूजन व प्रसाद निर्माण में किया जाएगा। मिथिला क्षेत्र के लोग माता सीता को अपनी बेटी और श्रीराम को दामाद मानते हैं, इसलिए इस मंदिर को लेकर भावनात्मक जुड़ाव बेहद गहरा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इसे गौरव का क्षण बताया और कहा कि यह कार्यक्रम बिहार की सांस्कृतिक अस्मिता को नया स्वरूप देगा।